बिहार के शहरी इलाकों की तर्ज पर अब गांव की सड़कों को भी रोड एम्बुलेंस से दुरुस्त किया जाएगा। ग्रामीण कार्य विभाग ने एजेंसियों को अनिवार्य रूप से रोड एम्बुलेंस रखने का निर्देश दिया है। खासकर विभाग की नई गाइडलाइन जिसमें ग्रामीण सड़कों को बेहतर बनाए रखना है। उसके लिए रोड एम्बुलेंस अनिवार्य कर दिया गया है। विभाग ने इस व्यवस्था को पहली बार लागू करने का निर्णय लिया है।
ग्रामीण कार्य विभाग के तहत सड़कों को अभी पांच साल तक मेंटेन किया जा रहा है। इसमें से 26 हजार किलोमीटर सड़कें इस अवधि से बाहर हो गई है। ऐसे में विभाग ने इन सड़कों को नए सिरे से मेंटेन करने का निर्णय लिया है। इसके लिए ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं प्रबंधन कार्यक्रम लागू किया गया है। इस योजना के तहत उन सभी सड़कों को शामिल किया जाएगा जो पांच साल की मरम्मत अवधि से बाहर हो चुकी है।
इस योजना के लिए विभाग ने एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार की है। इसके तहत सड़कों को सात साल तक मेंटेन किया जाएगा। विभाग ने इस योजना के तहत वैसी सड़कों को भी शामिल करने का निर्णय लिया है जो अंतर प्रखंड, अंतर जिला की महत्वपूर्ण सड़कें हैं। जिन प्रखंडों के अन्तर्गत चयनित पथों की लंबाई अधिक होगी, उसके प्रशासनिक नियंत्रण वाले कार्य प्रमंडल द्वारा उक्त पथ का पुननिर्माण, उन्नयन या नवीनीकरण व अन्य कार्य कराए जाएंगे।
प्रखंडवार व अनुमंडलवार सड़कों का पैकेज तैयार कर निविदा के माध्यम से कार्य संपन्न कराया जाएगा। इन सड़कों का निर्माण करने के लिए संवेदकों को रोड एम्बुलेंस (रैपिड रिस्पांस व्हीकल) रखना अनिवार्य होगा। विभाग की कोशिश है कि सड़क पर अगर पानी जम जाए तो एम्बुलेंस से उसे हटाया जाए। कोई छोटा गड्ढा हो तो उसे बड़ा होने के पहले ही उसकी मरम्मत कर दी जाएगी। एम्बुलेंस में संवेदकों को पर्याप्त संख्या में कर्मचारी भी रखने होंगे। इसमें जीपीएस भी लगा रहेगा जिससे यह आसानी से पता चल सकेगा कि एम्बुलेंस किस समय कहां है और उसका उपयोग हो रहा है या नहीं।
अगर तय समय के अनुसार सड़कों की मरम्मत नहीं हो पाई तो संवेदकों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत संवेदकों की राशि काटी जा सकती है। साथ ही अन्य दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के अनुसार सड़कों को बेहतर नहीं रखने पर संवेदकों को किसी तरह का कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।