- बिहार में जन वितरण प्रणाली के विक्रेताओं की हड़ताल.
- राज्य में एक पखवाड़े से चल रही हड़ताल.
- हड़ताल से करीब नौ करोड़ उपभोक्ता प्रभावित .
Bihar News : बिहार के जन वितरण प्रणाली के दूकानदार अक्सर अपनी मांगों के समर्थन में आवाज उठाते रहे हैं, पर सरकार उनकी सुनती नहीं है। सिर्फ आश्वासन से ही काम चलाया जाता रहा है। राज्य सरकार के इस रवैये से क्षुब्ध होकर अबकी बार सूबे के तमाम जन वितरण प्रणाली के विक्रेता हड़ताल पर चले गए हैं। डीलर 12- 13 दिनों से हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ली है। इससे माना जा रहा है कि हड़ताल लंबे समय तक जारी रहेगा।
हड़ताल से करोड़ों लोग प्रभावित :
जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं की हड़ताल से राज्य सरकार पर भले ही कोई असर न हो, लेकिन सूबे के करीब नौ करोड़ उपभोक्ता जरूर प्रभावित हो रहे हैं। खास कर वैसे उपभोक्ताओं के समक्ष बड़ी परेशानी है, जो आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण राशन की दुकान से मिलने वाले राशन पर निर्भर रहते हैं। इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए सरकार को हड़ताल से हो रही क्षति/प्रभावित उपभोक्ताओं के हित में कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए।
खाद्यान्न का उठाव नहीं कर रहे डीलर :
हड़ताल के चलते डीलर अपनी पॉश मशीनें बंद रखे हुए हैं। खाद्यान्न का उठाव नहीं कर रहे हैं। दुकानें बंद रखे हुए हैं। बहरहाल, जन वितरण केंद्रों के विक्रेताओं के हड़ताल पर जाने से खाद्यान्न के वितरण में परेशानी होगी और सूबे के करोड़ों उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। मांगों के समर्थन में सूबे के कई जिलों में डीलर अनशन भी किए हुए हैं। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं, सरकार हाथ पर हाथ रखकर कोई निर्णय लेने के बजाए देख-सुन रही है।
क्या है डीलर्स की मांगें :
डीलरों की विभिन्न मांगों में एसएफसी गोदाम से तौल कर खाद्यान्न मिले, अनुकंपा में उम्र सीमा को समाप्त करना, सरकार द्वारा जन वितरण विक्रेताओं को दुकान संचालक करने के कार्य के लिए कम से कम 30000 प्रति माह मानदेय देने, जन वितरण विक्रेता के द्वारा केंद्र के संचालन के लिए दुकान का किराया और दुकान से जुड़ी स्टेशनरी और बाकी व्यवस्थाओं से जुड़ी वस्तुओं के लिए सरकार द्वारा एक उचित राशि प्रदान करने, पोस मशीन से जुड़ी किसी भी समस्या या मरम्मत के लिए विक्रेता को राशि मुहैया किये जाने की मांग शामिल है।