बिहार विधानसभा के मुख्य सचेतक एवं राजद के प्रदेश प्रवक्ता सह विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने प्रधानमंत्री पर सरकारी कार्यक्रम में ‘मां’ शब्द का राजनीतिक उपयोग करने का आरोप लगाया है। जीविका समूह के एक कार्यक्रम से लौटने के बाद शाहीन ने कहा कि प्रधानमंत्री और एनडीए सरकार महिलाओं को लेकर सिर्फ चुनावी लॉलीपॉप दिखा रही है।

उन्होंने कहा कि जब तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने बिहार की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर घर को ढाई हजार रुपये मासिक सहायता देने और महिलाओं को रोजगार के लिए 10 हजार रुपये देने की बात कही, तब जाकर नीतीश कैबिनेट ने अचानक 10 हजार रुपये देने की घोषणा की। शाहीन के अनुसार, “यह साफ तौर पर वोट के लिए रिश्वत है, लेकिन जनता अब गुमराह नहीं होगी।”

विधायक ने आरोप लगाया कि जीविका बैंक के लिए महज 105 करोड़ रुपये की राशि दी गई है, जबकि यह रकम तो पुल निर्माण के लिए भी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में जीविका से 4 करोड़ से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं, जिनमें सिर्फ समस्तीपुर से करीब 6 लाख महिलाएं शामिल हैं।

शाहीन ने बिहार में महिलाओं की स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी राज्य की महिलाओं की हालत बद से बदतर है। एक करोड़ परिवारों की मासिक आय छह हजार रुपये से कम है, लेकिन उनके लिए कोई पैकेज नहीं दिया गया। “तेजस्वी यादव ने वादा किया है कि सरकार बनने पर हर महिला को ढाई हजार रुपये महीना मिलेगा, जिससे एक परिवार को कम से कम दस हजार रुपये की सहायता होगी।”


उन्होंने नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने महिलाओं को एक हजार रुपये भत्ता तक नहीं दिया। “अगर किसी ने महिलाओं के दर्द को समझा है, तो वह तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद और राहुल गांधी हैं।”


