विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने छात्रों और अभिभावकों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए फीस रिफंड को लेकर एक नई सख्त नीति बनाई है। यदि कॉलेज किसी छात्र की फीस समय पर वापस नहीं करता है, तो कॉलेज की मान्यता रद्द होने तक का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, कॉलेज को अनुदान रोकने और डिफॉल्टर लिस्ट में डालने जैसी कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सचिव मनीष जोशी ने इस संदर्भ में एक नोटिस जारी किया है। इसमें बताया गया है कि फीस नहीं लौटाने की स्थिति में कॉलेज की मान्यता रद्द करने के नियम लागू होंगे। यह नियम इंजीनियरिंग, मेडिकल और अन्य कॉलेजों पर भी लागू होंगे।
नई पॉलिसी में यूजीसी ने फीस नहीं लौटाने की स्थिति में कॉलेजों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का प्रावधान किया है। इनमें ऑनलाइन और ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग पाठ्यक्रमों की मंजूरी वापस लेने, स्वायत्त संस्थान का दर्जा छीनने और कॉलेज का नाम डिफॉल्टर सूची में डालने तक का प्रावधान शामिल है।
छात्रों और अभिभावकों को फीस रिफंड के लिए एक निश्चित समय सीमा के अंदर आवेदन करना होगा। मनीष जोशी के नोटिस के अनुसार, दाखिला प्रवेश की अंतिम तिथि से 15 दिन या उससे पहले सीट छोड़ने पर 100 फीसदी फीस वापस की जाएगी। अंतिम तिथि से 15 दिन से कम समय पर 90 फीसदी, अंतिम तिथि के 15 दिन बाद 80 फीसदी, और 15 से 30 दिन के बीच में 50 फीसदी फीस वापस होगी। एक महीने या 30 दिन बीतने के बाद कोई फीस वापस नहीं होगी।
इस नई नीति के तहत, यूजीसी ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि छात्रों और अभिभावकों की फीस रिफंड से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सके और कॉलेजों को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके।
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