राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक कैलेंडर बनाना अनिवार्य होगा। विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक कैलेंडर नहीं होने से निर्धारित समय पर पढ़ाई पूरी नहीं होती है।
परीक्षा कैलेंडर तो बनता है, लेकिन इसका क्रियान्वयन नहीं होने से सत्र में देरी होती है। शिक्षा विभाग जल्द ही सभी विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक और परीक्षा कैलेंडर अनिवार्य रूप से बनाने और लागू कराने के लिए पत्र भेजेगा।

सत्र नियमित नहीं रहने और देरी के कारण उच्च शिक्षा के लिए राज्य के विद्यार्थी दूसरे राज्यों के शिक्षण संस्थानों में नामांकन करा लेते हैं। इससे बिहार का उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) अन्य राज्यों की तुलना में कम रहता हैं।
अभी राज्य का 17.10 फीसदी है। दो साल पहले शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद कुछ विश्वविद्यालयों ने परीक्षा कैलेंडर बनाया। कुछ विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक कैलेंडर भी तैयार किया, लेकिन इसे क्रियान्वित नहीं किया जा सका। शिक्षा विभाग ने पटना महिला कॉलेज के शैक्षणिक कैलेंडर को बेहतर बताया है।
सभी विश्वविद्यालयों को इसकी कॉपी देकर कहा जाएगा कि इस तरह शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया जा सकता है। राजभवन में कुलपतियों की बैठक में इस बात पर सबसे अधिक जोर रहता है कि समय पर पढ़ाई पूरी हो। समय पर परीक्षा लेकर रिजल्ट भी प्रकाशित कर दिया जाए।
राजभवन के आदेश का विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं कर रहा है अनुपालन
राजभवन और शिक्षा विभाग का इससे संबंधित अलग-अलग कई आदेश-निर्देश विश्वविद्यालय प्रशासन को दिये गए, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो रहा है। इसलिए अब सख्ती से शैक्षणिक और परीक्षा कैलेंडर सख्ती से लागू कराने की तैयारी है। समय पर शैक्षणिक और परीक्षा कैलेंडर लागू नहीं करने वाले विश्वविद्यालय प्रशासन पर कार्रवाई का प्रावधान की भी तैयारी है। इसके लिए शीर्ष अधिकारियों का वेतन भी रोका जा सकता है।


