बिहार के करीब 4200 लोकसेवक दागी हैं। साथ ही 696 निजी व्यक्तियों पर भी निगरानी विभाग की विभिन्न इकाइयों में मुकदमा चल रहा है। निगरानी विभाग ने निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) और आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में दिसंबर 2024 तक दर्ज इन कांडों की सूची संबंधित विभागों, प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारियों को भेज दी है।

निगरानी विभाग ने स्पष्ट किया है कि विभागों और क्षेत्रीय पदाधिकारियों को पदाधिकारी-कर्मियों को 30 जून 2025 तक के मामलों में पदोन्नति के लिए अलग से स्वच्छता प्रमाणपत्र मांगने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि इसके अतिरिक्त अन्य मामलों में निगरानी स्वच्छता की आवश्यकता होने पर निगरानी विभाग से अनुरोध किया जा सकता है।

मालूम हो कि साल में दो बार संबंधित प्रशासी विभाग को दर्ज प्राथमिकी और चार्जशीटेड पदाधिकारी-कर्मचारियों की सूची भेजने का प्रावधान है। इसके आधार पर सभी विभागों को अपने कार्यालय के दागी कर्मियों की सूची भी संधारित करनी है। निगरानी विभाग के पत्र के मुताबिक, स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) में 55 मामले और आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) में करीब 85 मामले दर्ज हैं। इनमें अधिकतर में अब भी अनुसंधान ही चल रहा है। ईओयू में 2019 के बाद सिर्फ एक मामले में चार्जशीट हुई है।


जबकि एक मामले में साक्ष्य की कमी पाते हुए अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया गया है। शेष मामलों में अनुसंधान चल रहा है। उसके पहले के 39 मामलों में से 37 में चार्जशीट हो चुकी है, जबकि दो मामलों में अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया गया है। एसवीयू में दर्ज 55 मामलों में से करीब आधा न्यायालय में विचाराधीन हैं, जबकि शेष में अनुसंधान चल रहा है। कुल में से 39 मामलों में आरोपित पदाधिकारी के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है।



