ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में अंगीभूत एवं संबद्ध कॉलेजों को स्नातक में नामांकित छात्रों के आवेदन मद से प्राप्त शुल्क के शेयर का भुगतान नहीं किया गया है। यह राशि विश्वविद्यालय के बैंक खाते में जमा है। कॉलेजों की ओर से मांग किए जाने के बाद भी राशि का भुगतान नहीं होने से संबद्ध कॉलेजों के संचालन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

जानकारी के अनुसार लनामिवि अंतर्गत सभी कॉलेजों का चार सत्र क्रमशः 2021-24, 2022-25 प्रथम खंड, सत्र 2023-27, 2024-28 प्रथम सेमेस्टर में नामांकन के लिए छात्रों से लिए गए आवेदन शुल्क मद के शेयर का भुगतान लंबित चल रहा है। इस मद की करीब चार करोड़ से अधिक राशि विवि के बैंक खातों में जमा है, लेकिन विवि प्रशासन की उदासीनता के कारण इसका भुगतान अब तक संबंधित कॉलेजों को नहीं हो सका है। इसका सबसे अधिक प्रभाव विवि से संबंधन प्राप्त 37 कॉलेजों को भुगतना पड़ रहा है। इन कॉलेजों का संचालन छात्रों की ओर से विभिन्न मदों में किए गए भुगतान पर ही निर्भर होता है, ऐसे में संबद्ध कॉलेज इस राशि के लिए विवि प्रशासन की ओर टकटकी लगाए हुए है।

गौरतलब है कि स्नातक स्तर पर पूर्व में कॉलेज अपने स्तर से नामांकन लेते थे और शुल्क का भुगतान छात्र सीधे कॉलेज को करते थे। 2016 में विवि में केंद्रीकृत नामांकन व्यवस्था को लागू किया गया। इसके तहत अब छात्र नामांकन के लिए आवेदन और शुल्क सीधे विश्वविद्यालय में जमा करते हैं। इस व्यवस्था के तहत तय किया गया कि नामांकन मद में लिए जाने वाले शुल्क की 50 फीसदी राशि कॉलेजों को भुगतान की जाएगी, यानी कि आवेदन शुल्क के रूप में विवि जो राशि छात्रों से वसूलती है, उसमें आधे पर कॉलेज का अधिकार होगा।

इस मद की राशि पर संबद्ध कॉलेजों की तरह अंगीभूत कॉलेजों का दावा भी बनता है। जानकारी के अनुसार विवि के 43 अंगीभूत कॉलेजों को भी चार सत्रों से इस मद की राशि का भुगतान नहीं हो सका है। जानकारों का कहना कि यह राशि नहीं मिलने से अंगीभूत कॉलेजों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उसकाा संचालन सरकार से विमुक्त राशि से ही होता है। इसके ठीक विपरीत संबद्ध कॉलेजों का संचालन छात्रों से लिए गए शुल्क से ही होता है। ऐसे में संबद्ध कॉलेजों को राशि भुगतान में विलंब होने से यहां की संचालन व्यवस्था प्रभावित होती है, जिसका खामियाजा वहां के शिक्षाकर्मी सहित छात्रों को भी उठाना पड़ता है।


बताया जाता है कि इससे पूर्व के सत्रों में भी सभी कॉलेजों को शत प्रतिशत भुगतान नहीं मिल सका था। कुछ कॉलेजों को पूरा को कुछ को आधा-अधूरा भुगतान हो पाया था। ऐसा नहीं है कि इस मद की राशि भुगतान के लिए विवि को राज्य सरकार से विमुक्ति का इंतजार है या उससे अनुमति लेनी है, बल्कि यह राशि छात्रों की ओर से सीधे विवि के अधिकृत बैंक खाते में जमा किया गया है। इसका भुगतान भी विश्वविद्यालय पदाधिकारी के आदेश से ही होना है। बावजूद कॉलेजों को भुगतान में विलंब से विवि प्रशासन की मंशा और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।


