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Bhu Aadhaar Card : अब जमीन का भी होगा ‘आधार कार्ड’, जानिए क्या है भू-आधार कार्ड और इसके फायदे?

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By Samastipur Today Desk
Bhu Aadhaar Card : अब जमीन का भी होगा ‘आधार कार्ड’, जानिए क्या है भू-आधार कार्ड और इसके फायदे?

 

 

Bhu Aadhaar Card : बिहार में अब जमीन का भी आधार कार्ड बनाने का काम किया जा रहा है ताकि कोई भी आपकी जमीन पर अवैध कब्जा न कर सके और आपकी जमीन सुरक्षित रहे। अगर आपके पास भी जमीन है और आप चाहते हैं कि आपकी जमीन सुरक्षित रहे और कोई उस पर कब्जा न कर सके तो आपको अपनी जमीन का आधार कार्ड बनवा लेना चाहिए। जिस तरह हमारा आधार कार्ड हमारी कानूनी पहचान है, उसी तरह सरकार जमीन को कानूनी पहचान देने का काम कर रही है। सरकार की ओर से जमीन के लिए भू-आधार कार्ड बनाने का काम किया जा रहा है।

   

भू-आधार कार्ड क्या है?

भू आधार कार्ड केंद्र सरकार की ओर से जारी किया जाता है। इस कार्ड में कृषि भूमि का रिकॉर्ड होता है. इस कार्ड में जमीन के मालिक का नाम, जमीन का रकबा, जमीन का पता और जमीन से जुड़ी सभी जानकारी होती है। इस कार्ड की मदद से कृषि भूमि की पहचान की जा सकती है। जमीन की पहचान के लिए 14 अंकों का यूनिक नंबर दिया जाता है। इस नंबर को अल्फान्यूमेरिक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर भी कहते हैं। इस भू-आधार से भूमि स्वामी का आधार कार्ड भी लिंक किया जाता है, ताकि पात्र व्यक्ति को योजना का लाभ आसानी से मिल सके।

भू-आधार कार्ड बनवाने के लाभ:

भू-आधार कार्ड बनवाने से आपको कई लाभ मिलते हैं, योजना के तहत आपको मिलने वाले लाभों में से मुख्य लाभ इस प्रकार हैं :

  • अगर आप अपनी जमीन के दस्तावेजों को आधार कार्ड से लिंक करते हैं, तो कोई भी उस पर आसानी से कब्जा नहीं कर पाएगा। अगर कोई करता भी है, तो उसे कब्जे से मुक्त कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। अगर किसी कारणवश ऐसा संभव नहीं हो पाता है, तो सरकार आपको इसके लिए मुआवजा देगी।
  • भू-आधार कार्ड से जुड़े भूमि रिकॉर्ड डिजिटल रूप से उपलब्ध होंगे। इससे भूमि विवादों को सुलझाना आसान हो जाएगा।
  • आधार से जुड़ी जमीन से किसानों और अन्य भूमि स्वामियों को कृषि ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं प्राप्त करना आसान हो जाएगा।

भू-आधार कैसे काम करता है?

1. सबसे पहले प्लॉट को जीपीएस तकनीक का उपयोग करके जियोटैग किया जाता है, ताकि उसकी सही भौगोलिक स्थिति की पहचान की जा सके।

2. फिर सर्वेक्षक प्लॉट की सीमाओं का भौतिक सत्यापन और माप करते हैं।

3. भूखंड के लिए भूमि स्वामी का नाम, उपयोग श्रेणी, क्षेत्र आदि जैसे विवरण एकत्र किए जाते हैं।

4. एकत्र किए गए सभी विवरण फिर भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में दर्ज किए जाते हैं।

5. सिस्टम स्वचालित रूप से भूखंड के लिए 14 अंकों का भू-आधार नंबर तैयार करता है, जिसे डिजिटल रिकॉर्ड से जोड़ा जाता है।

भू-आधार में क्या जानकारी होगी?

आधार कार्ड की तर्ज पर बनने वाले भू-आधार में राज्य कोड, जिला कोड, उप-जिला कोड, गांव कोड, भूखंड की विशिष्ट आईडी संख्या आदि होती है। भू-आधार नंबर डिजिटल और भौतिक भूमि रिकॉर्ड दस्तावेज़ पर अंकित होता है। भले ही भूमि हस्तांतरित हो, कई भागों में विभाजित हो या उसमें कोई बदलाव हो, भूखंड की भौगोलिक सीमा के लिए भू-आधार नंबर वही रहेगा।

जानिए भू-आधार कार्ड कैसे बनवाएं?

भू-आधार कार्ड बनवाने के लिए आपको अपने आधार कार्ड और जमीन के कागजात के साथ अपने क्षेत्र के राजस्व कर्मचारी के पास जाना होगा। यहां से आपको राजस्व कर्मचारी से भू-आधार कार्ड बनवाने के लिए फॉर्म लेना होगा। अब इस फॉर्म को भरकर वहां जमा कर दें। इसके बाद आपको अपनी जमीन का ULPIN मिलेगा। इस ULPIN को अपने आधार से लिंक करना होगा। इस तरह आप भू-आधार कार्ड बनवा सकते हैं। इसके अलावा जमीन मालिक को तहसील ऑफिस जाकर अपनी प्रॉपर्टी के दस्तावेजों के साथ आधार कार्ड की कॉपी भी जमा करानी होगी। जिन राज्यों में यह प्रक्रिया ऑनलाइन उपलब्ध है, वहां जमीन मालिक घर बैठे ही अपनी जमीन या प्रॉपर्टी को आधार से लिंक करवा सकते हैं।

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