Bihar News : बिहार ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 12 पदक (1 स्वर्ण, 6 रजत और 5 कांस्य) जीते। यह राज्य के खेल इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह उपलब्धि न केवल बिहार के पिछले प्रदर्शनों से काफी बेहतर है, बल्कि राष्ट्रीय खेल मंच पर राज्य की बढ़ती प्रतिष्ठा को भी बढ़ाती है। बिहार की इस ऐतिहासिक सफलता के पीछे बिहार खेल विभाग और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (बीएसएसए) की रणनीतिक योजना और अथक प्रयास रहा है।

बिहार के दल के उत्तराखंड रवाना होने से पहले बिहार खेल विभाग और बीएसएसए ने न्यूनतम 10 और अधिकतम 12 पदकों की भविष्यवाणी की थी। इस लक्ष्य को हासिल करके बिहार ने साबित कर दिया है कि एथलीटों के लिए अपनाई गई रणनीति और तैयारी बेहद कारगर थी।

एथलीटों के लिए सुनियोजित रणनीति और समर्थन:


इस शानदार प्रदर्शन में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) द्वारा गठित तदर्थ समिति की अहम भूमिका रही, जिसने निष्पक्ष ट्रायल, पारदर्शी चयन और गहन प्रशिक्षण शिविर सुनिश्चित किए। पूरी प्रक्रिया बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (बीएसएसए) के सहयोग से संचालित की गई, जिसने प्रत्येक खिलाड़ी को सर्वोत्तम सहायता, तैयारी और प्रेरणा प्रदान की।

बिहार के शीर्ष खेल प्रशिक्षकों और सलाहकारों ने खिलाड़ियों को पूरी तरह से तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। संरचित प्रशिक्षण कार्यक्रमों, मानसिक शक्ति और समर्पित सहायता प्रणाली के तहत, एथलीटों को अपने उच्चतम स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला।
इसके अलावा, बिहार खेल विभाग, बीएसएसए और तदर्थ समिति ने खेलों के दौरान खिलाड़ियों के लिए आवश्यक रसद और चिकित्सा सहायता, विशेष प्रशिक्षण, उचित चिकित्सा देखभाल और ठंड के अनुकूल कपड़े उपलब्ध कराए। बीएसएसए कोच और सहयोगी कर्मचारियों की उपस्थिति ने एथलीटों को आत्मविश्वास और प्रेरणा प्रदान की।
महिला खिलाड़ियों की ऐतिहासिक उपलब्धि:
बिहार की खेल यात्रा ने एक नए युग में प्रवेश किया है। लॉन बॉल्स में स्वर्ण पदक जीतकर महिला टीम ने इतिहास रच दिया। राष्ट्रमंडल खेलों के स्तर के इस खेल में बिहार की सफलता ने साबित कर दिया कि राज्य की रणनीतिक नीतियां और एथलीट-केंद्रित योजनाएं उच्च स्तर पर परिणाम दे रही हैं।
तीरंदाजी में बिहार की अंशिका कुमारी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए महिला रिकर्व व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक जीता। उन्होंने फाइनल मुकाबले में भारतीय तीरंदाजी की दिग्गज दीपिका कुमारी को कड़ी टक्कर दी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बिहार अब इस खेल में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
अन्य खेलों में बिहार का शानदार प्रदर्शन:
बिहार के आकाश ने तलवारबाजी में राज्य के लिए पहला पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने फॉयल स्पर्धा में रजत और एक अतिरिक्त कांस्य पदक जीतकर बिहार की पदक तालिका को और मजबूत किया।
इसके अलावा महिला रग्बी टीम ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए ओडिशा के खिलाफ कड़े मुकाबले के बाद रजत पदक जीता। यह उपलब्धि खेल में उनकी बढ़ती ताकत और क्षमता को दर्शाती है।
वुशु में भी बिहार के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 1 रजत और 1 कांस्य पदक जीता। इसी तरह मॉडर्न पेंटाथलॉन में बिहार की टीम ने 2 कांस्य पदक जीते, जिससे बहु-खेल प्रतियोगिताओं में राज्य की बढ़ती भागीदारी स्पष्ट होती है।
इसके अलावा, योगासन में बिहार ने रजत पदक जीता, जो विविध खेलों में राज्य की बढ़ती विशेषज्ञता को दर्शाता है।
अपनी धरती पर खिलाड़ियों की ऐतिहासिक सफलता:
बिहार ने 2011 के राष्ट्रीय खेलों में भी 12 पदक जीते थे, लेकिन उनमें से कई पदक दूसरे राज्यों के एथलीटों ने जीते थे। इस बार, हर पदक बिहार के घरेलू खिलाड़ियों ने जीता है, जो राज्य की खेल नीति और संरचना में सकारात्मक बदलाव को दर्शाता है।
यह बिहार खेल विभाग और बीएसएसए की कड़ी मेहनत का प्रमाण है कि राज्य अब अपने खिलाड़ियों को सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण, सहायता और संसाधन प्रदान कर रहा है, जिससे वे केवल अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के आधार पर सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
पीटी उषा ने बिहार की खेल प्रगति की सराहना की :
भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष और अनुभवी एथलीट पीटी उषा ने बिहार की प्रगति की सराहना की। उन्होंने बिहार को एक उभरते हुए मजबूत खेल राज्य के रूप में मान्यता दी और कहा कि बिहार के एथलीटों की कड़ी मेहनत और समर्पण इस पदक तालिका में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
इसके अलावा, उन्होंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के लिए बिहार का निमंत्रण स्वीकार कर लिया, जिसकी मेजबानी बिहार इस साल के अंत में करेगा। पी.टी. उषा की स्वीकृति खेल क्षेत्र में बिहार के बढ़ते प्रभाव और भविष्य की सफलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रेरणा है।
बिहार खेल विभाग और बीएसएसए की प्रतिबद्धता :
बिहार खेल विभाग और बिहार राज्य खेल प्राधिकरण (बीएसएसए) ने आईओए और तदर्थ समिति के प्रति उनके समर्पित प्रयासों के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। निष्पक्ष चयन प्रक्रिया, प्रशिक्षण शिविर और एथलीट कल्याण को प्राथमिकता देने से यह ऐतिहासिक प्रदर्शन संभव हो पाया है।
भविष्य की ओर बिहार का अगला कदम :
38वें राष्ट्रीय खेलों में बिहार की यह उपलब्धि तो बस एक शुरुआत है। खेल नीति सुधारों, प्रतिभा विकास पहलों और राज्य स्तर पर खेल ढांचे को मजबूत करने की योजनाओं के साथ, बिहार अब भारतीय खेलों में एक प्रमुख शक्ति बनने की ओर अग्रसर है।