Bihar News : बिहार में इन दिनों मौसम का मिजाज काफी खराब है। पिछले 10 दिनों में बिजली गिरने (ठनका) से 61 लोगों की मौत की खबर है। ऐसे में पटना के आईएमडी निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि प्री-मानसून के दौरान न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में वज्रपात जैसी घटनाएं आम बात है। राज्य की अनोखी भौगोलिक स्थिति के कारण इस मौसम में बिजली गिरना, तेज हवाएं चलना और बिजली गिरना आम बात है।

आंकड़े बताते हैं कि 2020-21 में बिजली गिरने की 9 लाख घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2022-23 में बढ़कर 13 लाख से ज्यादा हो गईं। वहीं, 2022-23 में बिहार में बिजली गिरने और वज्रपात से 400 मौतें हुईं। समतल जमीन, अधिक नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव से बिजली गिरने का खतरा बढ़ जाता है, खासकर खेतों में काम करने वाले किसानों के लिए। बिजली गिरने से बचने के लिए दोपहर 12 बजे से 3 बजे और 3 बजे से शाम 6 बजे के बीच विशेष सावधानी बरतना जरूरी है।

आईएमडी निदेशक डॉ. आशीष कुमार ने कहा कि खराब मौसम के दौरान घर से बाहर निकलने से बचें, पक्के मकान में शरण लें और खुले में सुरक्षित स्थान पर पहुंचने का प्रयास करें। ये उपाय लोगों को गंभीर खतरे से बचाने में मददगार हो सकते हैं।


जानें ठनका गिरने की वजह ?

हाल के दिनों में राज्य में खराब मौसम के कारण बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसके कारण पिछले दस दिनों में 61 लोगों की जान जा चुकी है। मौसम विभाग के अनुसार, बिजली गिरने की घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य बिहार है। आईएमडी निदेशक डॉ. आशीष कुमार ने कहा कि प्री-मानसून के दौरान बिजली गिरना एक सामान्य घटना है, खासकर राज्य के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में। जलवायु परिवर्तन के कारण यह खतरा और बढ़ रहा है। हालांकि, देश में कई ऐसे इलाके हैं जहां बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं लेकिन मौतें कम होती हैं।
