बिहार में शादी के बाद करीब 78 फीसदी महिलाएं अपना सरनेम (उपनाम) नहीं बदलती हैं। वह पिता के दिए सरनेम को ही रखना चाहती है। सरनेम के प्रति महिलाओं में जागरुकता पिछले एक दशक में दिखी है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। यह सर्वे सितंबर 2024 में किया गया। बिहार समेत अनेक राज्यों में शादी के बाद महिलाओं का सरनेम पति या ससुराल का किये जाने का पूर्व में चलन रहा है। लेकिन, अब महिलाएं ऐसा नहीं करना चाहती हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्य महिला एवं बाल विकास निगम के माध्यम से यह सर्वे किया है। बिहार की करीब दस लाख महिलाओं के बीच यह सर्वे किया गया था। इसमें कुंआरी लड़कियों और विवाहिता महिलाओं को शामिल किया गया। सात लाख 80 हजार ( करीब 78 फीसदी) महिलाओं ने शादी के पहले के सरनेम को ही भविष्य में रखने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की। सर्वे में तीन लाख अविवाहित लड़कियों को शामिल किया गया था। इसमें दो लाख 56 हजार लड़कियों ने पिता के सरनेम को ही अपने नाम के साथ रखने की बात कहीं।
सरनेम नहीं बदलने पर शादी रजिस्ट्रेशन जरूरी
वैसे विवाह के बाद रजिस्ट्रेशन करवाने के पहले सरनेम को बदलने में कई तरह की दिक्कतें आती है। आधार नंबर से लेकर वोटर आईडी कार्ड आदि सभी में सरनेम बदलना अलग झंझट है। तमाम कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है।