Entertainment

Panchayat Season 4 Released : रिलीज होते ही ट्रेंड करने लगा पंचायत का सीजन 4, जानें क्या है कहानी?

Photo of author
By Samastipur Today Desk


Panchayat Season 4 Released : रिलीज होते ही ट्रेंड करने लगा पंचायत का सीजन 4, जानें क्या है कहानी?

 

Panchayat Season 4 Released : ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज पंचायत का सीजन 4 रिलीज हो गया है। इस बार फुलेरा गांव की प्रधान मंजू देवी की गद्दी खतरे में है। बनारस की रहने वाली क्रांति देवी उन्हें प्रधानी चुनाव में सीधी टक्कर दे रही हैं। देखना यह है कि क्रांति और मंजू में से कौन चुनावी जंग में बाजी मारता है।

 

क्या है कहानी?

‘पंचायत’ सीजन 4 की शुरुआत वहीं से होती है, जहां सीजन 3 खत्म हुआ था। प्रधान जी (रघुबीर यादव) को गोली लगी, जो उनके कंधे पर लगी। अब उनके कंधे का घाव तो ठीक हो गया है, लेकिन उनके अंदर का दर्द और डर अभी भी बरकरार है। वहीं, सचिव जी (जितेंद्र कुमार) के नाम पर केस दर्ज हुआ है। विधायक (पंकज झा) से मारपीट करने के बदले में उन्हें यह केस तोहफे में मिला है। उन्हें अपनी कैट परीक्षा के रिजल्ट का भी इंतजार है। इस बीच फुलेरा में चुनावी माहौल गरमा गया है। बनराकस, क्रांति देवी, बिनोद (अशोक पाठक) और माधव (बुल्लू कुमार) गिद्धों की तरह प्रधानजी और पार्टी पर नजर रखे हुए हैं। विधायक भी इन चारों का साथ दे रहे हैं। दूसरी तरफ प्रधानजी किसी शुभचिंतक के संरक्षण में हैं, जिसकी जानकारी उन्हें अभी तक नहीं है।

चुनावी जंग दिलचस्प है ..:

शो की शुरुआत धीमी है, लेकिन जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है, आपको राजनीति का रंग देखने को मिलता है। प्रधानजी और मंजू देवी, सचिव जी, रिंकी (संविका), विकास (चंदन रॉय) और प्रहलाद चा (फैसल मलिक) जो भी करने की कोशिश करते हैं, बनराकस और कंपनी उनके पीछे पड़ जाती है। बनराकस और उसके साथियों ने मिलकर प्रधानजी और उनकी टीम का खून पी लिया है। उनका नारा है ‘कुकर में लौकी पकाना’ और ऐसा करने के लिए वे आग में घी डालने और खूब मेहनत करने में लगे हैं। प्रधान और उसके दोस्तों की दुर्दशा देखकर एक बारगी आपको दुख भी होता है। हर बार जब भूषण और क्रांति अपना मुंह खोलते हैं, तो आपको लगता है कि डंडे से उनके मुंह पर वार कर दूं।

मंजू देवी और क्रांति देवी के बीच चल रही चुनावी जंग देखना मजेदार भी है और बोरिंग भी। अगर आपको ‘पंचायत’ का सीजन 3 याद है, तो वह काफी उथला था। इस सीजन में भी यही दिक्कत नजर आती है। नए सीजन की कहानी चुनाव, उसकी गर्माहट और खींचतान के इर्द-गिर्द बुनी गई है। हालांकि, आपको उससे आगे कुछ नहीं मिलता। जवाब तलाशा जा रहा है कि प्रधान जी को किसने गोली मारी। जवाब मिलने के बाद भी बात पूरी नहीं होती।

 

सेक्रेटरी जी और रिंकी के बीच प्यार पिछले सीजन में जितना बढ़ा था, उससे बस एक कदम आगे बढ़ा है। और यहां हम सोच रहे थे कि हमें दोनों का रोमांस देखने को मिलेगा। शो में कुछ नए किरदार आए हैं, लेकिन वे कुछ पलों के मेहमान ही हैं। मंजू देवी और क्रांति देवी के बीच की लड़ाई ही आपको सीरीज से जोड़े रखती है और आपके मन में अलग-अलग भावनाएं जगाती है। बाकी चीजें बस होती हुई लगती हैं। शुरुआती कुछ सीक्वेंस देखने के बाद आपको समझ में आ जाता है कि शो का पैटर्न क्या है और यहीं से सीरीज प्रेडिक्टेबल हो जाती है।

विदित हो कि साल 2020 में प्राइम वीडियो पर आई वेब सीरीज ‘पंचायत’ ने कोरोना के काले दौर में हम सभी का खूब मनोरंजन किया। उन दिनों यह शो देशभर के लोगों का पसंदीदा बन गया और अब तक बना हुआ है। शो के चाहने वाले चाहते हैं कि यह ताउम्र चलता रहे। अब यह तो पता नहीं कि मेकर्स ने इसे कितने सीजन तक बनाने का सोचा है, लेकिन दर्शकों के लिए कम्फर्ट शो बन चुके ‘पंचायत’ का सीजन 4 जरूर रिलीज हो गया है। इस बार फुलेरा गांव की प्रधान मंजू देवी (नीना गुप्ता) की गद्दी खतरे में है। बनारस के (दुर्गेश कुमार) की पत्नी क्रांति देवी (सुनीता रजवार) उन्हें प्रधानी चुनाव में सीधी टक्कर दे रही हैं। ऐसे में देखना यह है कि चुनावी जंग में क्रांति और मंजू में से कौन विजेता बनकर उभरता है।