बिहार की राजनीति में बयानबाजी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। पूर्व सांसद और चर्चित नेता आनंद मोहन ने एक बार फिर जन स्वराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर पर निशाना साधा। समस्तीपुर में एक निजी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने प्रशांत किशोर की राजनीति को “नर्सरी स्तर” का बताते हुए विपक्ष की भूमिका और उसकी सीमाओं पर भी तीखी टिप्पणियां की।

आनंद मोहन ने कहा कि बिहार की राजनीति फिलहाल एनडीए और महागठबंधन के बीच सीमित है। किसी तीसरी ताकत के उभरने की संभावनाएं बहुत कम हैं। उन्होंने प्रशांत किशोर की पहल को मामूली करार देते हुए कहा कि “अगर स्थानीय समीकरणों के चलते एक-दो स्थानों पर वोट मिले हैं, तो इसका यह मतलब नहीं कि तीसरी धारा मजबूत हो रही है।”

आनंद मोहन ने आगे कहा, “प्रशांत किशोर अभी राजनीति में नर्सरी के छात्र हैं। उन्हें इस क्षेत्र में मैट्रिक, इंटर और ग्रेजुएशन करना बाकी है।” उनकी यह टिप्पणी प्रशांत किशोर के चुनाव चिन्ह “बिस्तर छाप” पर कटाक्ष के रूप में भी देखी जा रही है।

विपक्ष और राजनीति पर विचार
पत्रकारों से बातचीत के दौरान आनंद मोहन ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “विपक्ष जन सरोकारों से दूर होता जा रहा है।” उन्होंने कहा कि राजनीति सिर्फ आंकड़ों और पैसों के बल पर नहीं हो सकती। इसके लिए संघर्ष और जनता के मुद्दों से जुड़ने की आवश्यकता है।

उन्होंने महात्मा गांधी और डॉक्टर राममनोहर लोहिया के सिद्धांतों का जिक्र करते हुए कहा, “गांधीजी ने राजनीति को संघर्ष और रचना से जोड़ा, जबकि लोहिया ने इसे जेल और वोट का प्रतीक बताया। आज की राजनीति में यह दोनों ही पहलू गायब हो रहे हैं।”


आनंद मोहन ने विपक्ष को “रचना-विहीन” बताते हुए कहा कि “अगर केवल पैसे और आंकड़ों से राजनीति होती, तो लालू यादव, कर्पूरी ठाकुर और मुलायम सिंह यादव जैसे नेता कभी नहीं उभरते। उनकी जगह टाटा और बिरला राजनीति में होते।”

