Bihar Election : बिहार में चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची का पुनरीक्षण कराए जाने के फैसले पर घमासान मचा हुआ है। राजद ने इसका पुरजोर विरोध किया है और इसे गरीबों को वोट देने से रोकने की गहरी साजिश बताया है। इसको लेकर समस्तीपुर के स्थानीय विधायक सह बिहार विधान सभा के मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा है कि ये लोग गरीबों से वोट का अधिकार छीनना चाहते हैं। सवाल उठ रहा है की 22 वर्षों के बाद पुनरीक्षण की क्या जरुरत पड़ी?

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव के बाद से ही मतदाता सूची को लेकर सवाल उठ रहे हैं और अब तक चुनाव आयोग की ओर से इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। अब अगर चुनाव आयोग बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले मतदाता सूची में संशोधन के नियमों में कुछ बदलाव करता है तो उसे पहले जनता और सभी हितधारकों को विश्वास में लेना चाहिए।

राजद विधायक ने सवाल उठाते हुए पूछा कि पिछली बार जो काम 2 साल में हुआ था, आखिर इस बार इसे 25 दिन में कैसे पूरा किया जायेगा। क्यों नहीं केंद्र सरकार 25 दिनों में जातीय जनगणना ही करा लेती है। उन्होंने इसे गरीबों को वोट देने से रोकने की साजिश करार दियाऔर कहा कि चुनाव आयोग वोटरबंदी कर रही है।

विधायक ने कहा कि चुनाव आयोग को जनता को भरोसा दिलाना होगा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष है और इसमें कोई गलती नहीं की जाएगी। क्योंकि महाराष्ट्र चुनाव के बाद चुनाव आयोग की कार्यशैली पर जो सवाल उठे हैं, उससे लोगों के मन में यह संदेह या डर पैदा होना स्वाभाविक है।


उन्होंने कहा कि लोगों को शक है, और इस बात का डर है कि भाजपा के लोग और सत्ता में बैठे लोगों के दबाव में कहीं चुनाव आयोग उन लोगों का नाम मतदाता सूची से न हटा दें, जो भाजपा के समर्थक नहीं माने जाते। इसलिए चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि मतदाता सूची में संशोधन की प्रक्रिया क्या है, इसके मापदंड क्या हैं? और किस आधार पर किसी का नाम हटाया या जोड़ा जाएगा।


