Bihar Election 2025 : बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। हाल ही में महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी ने लालू प्रसाद यादव को 13वीं बार अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना और पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुकी है। इस बीच, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी ने बिहार में विपक्षी महागठबंधन के नेताओं से संपर्क किया है क्योंकि पार्टी का लक्ष्य आगामी चुनावों में एनडीए को सत्ता में लौटने से रोकना है।

महागठबंधन के नेता लेंगे फैसला :
ओवैसी ने कहा कि एआईएमआईएम के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने महागठबंधन के नेताओं से संपर्क किया है, जिसमें कांग्रेस, आरजेडी और अन्य शामिल हैं, और उन्होंने भाजपा और उसके सहयोगियों के खिलाफ चुनाव लड़ने में अपनी रुचि दिखाई है। ओवैसी ने कहा, ‘हमारे प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने महागठबंधन के कुछ नेताओं से बात की है और उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि हम नहीं चाहते कि बिहार में भाजपा या एनडीए सत्ता में लौटे। अब यह फैसला उन राजनीतिक दलों पर निर्भर करता है जो बिहार में एनडीए को सत्ता में लौटने से रोकना चाहते हैं।’ बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मजबूत स्थिति रखने वाली AIMIM को 2022 में बड़ा झटका तब लगा जब उसके पांच में से चार विधायक तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी में शामिल हो गए. ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी सीमांचल ही नहीं बल्कि इसके बाहर भी अपने उम्मीदवार उतारेगी.

‘हम सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं’ :
उन्होंने कहा, ‘अगर वे (महागठबंधन) तैयार नहीं होते हैं, तो मैं हर जगह चुनाव लड़ने को तैयार हूं. आने वाले समय का इंतजार करें. सीटों की सही संख्या का ऐलान करना अभी जल्दबाजी होगी.’ उन्होंने कहा कि हमने पहले भी साथ आने की कोशिश की है और इस बार भी कोशिश कर रहे हैं ताकि ये लोग बाद में हमें दोष न दें.

इससे पहले ओवैसी ने बिहार में मतदाता सूची की दोबारा जांच का विरोध करते हुए भारत के मुख्य चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था. उन्होंने एक्स पर दावा किया, ‘यह कानूनी रूप से संदिग्ध प्रथा है जो चुनावों में वास्तविक मतदाताओं को बाहर कर देगी.’ ओवैसी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि आयोग पिछले दरवाजे से बिहार में एनआरसी लागू कर रहा है. मतदाता सूची के सत्यापन पर उठाए सवाल


उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को न केवल यह साबित करने वाले दस्तावेज दिखाने होंगे कि वह कब और कहां पैदा हुआ, बल्कि यह भी बताना होगा कि उसके माता-पिता कब और कहां पैदा हुए। यहां तक कि सबसे अच्छे अनुमान के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म पंजीकरण ही होते हैं। अधिकांश सरकारी दस्तावेज खामियों से भरे हैं।’


