समस्तीपुर में शुक्रवार को जीविका समूह की महिलाओं ने अपनी 10 सूत्री मांगों के समर्थन में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की। इन महिलाओं ने जीविका कैडर संघ के बैनर तले कलेक्ट्रेट गेट का घेराव किया और सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उनकी प्रमुख मांग थी कि उन्हें 25 हजार रुपये का मानदेय दिया जाए, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।
हड़ताल का नेतृत्व जीविका कैडर संघ के जिलाध्यक्ष कुमार अनुपम ने किया, जिन्होंने बताया कि जीविका परियोजना ने गांवों में महिला सशक्तिकरण और आजीविका में सुधार के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। बावजूद इसके, सरकार ने इस परियोजना से जुड़े लोगों की अनदेखी की है। जीविका कैडर, जो ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के महत्वपूर्ण अंग रहे हैं, बेहद कम मानदेय पर काम कर रहे हैं और अब उनकी जीवन-यापन की स्थिति दयनीय हो गई है। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कलेक्ट्रेट गेट के बाहर इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अपनी मांगों को जोर-शोर से रखा। उनके हाथों में बैनर और पोस्टर थे, जिन पर सरकार से उनकी मांगों को तत्काल पूरा करने की अपील की गई थी।
कैडरों की मांगों में प्रमुख रूप से जीविका से जुड़े सभी लोगों को पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र देने, मानदेय में कटौती को रोकने, 25 हजार रुपये न्यूनतम मानदेय तय करने और कैडरों को काम से हटाने की धमकी पर रोक लगाने जैसी शर्तें शामिल हैं। इसके अलावा, क्षेत्र भ्रमण भत्ता बढ़ाकर 3000 रुपये करने और सामाजिक सुरक्षा जैसे विशेष अवकाश, मातृत्व अवकाश और मेडिक्लेम की भी मांग की गई। कुमार अनुपम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें इन सभी मांगों को स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया। उन्होंने कहा, “जीविका परियोजना का उद्देश्य महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुधारना था, लेकिन वर्तमान स्थिति में हम खुद अपने परिवार का गुजारा भी मुश्किल से कर पा रहे हैं।”
संगठन के अन्य नेताओं, जैसे नैना यादव और सविता कुमारी, ने भी सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की और कहा कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।