डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में “क्लाइमेट रेजिलिएंट इंडेक्स” (जलवायु लचीलापन सूचकांक) विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी. एस. पांडेय ने कहा कि जलवायु लचीलापन सूचकांक यह दर्शाता है कि कोई देश या क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति कितना मजबूत या कमजोर है, जबकि जलवायु जोखिम सूचकांक यह मापता है कि देश और समुदाय चरम मौसमी घटनाओं जैसे बाढ़, तूफान और लू से कितने प्रभावित होते हैं तथा उनसे उबरने की उनकी क्षमता कितनी है।
कुलपति ने कहा कि रिलायंस फाउंडेशन के आर्थिक सहयोग से विश्वविद्यालय द्वारा विकसित यह सूचकांक अत्यंत महत्वपूर्ण है। जलवायु परिवर्तन भविष्य की कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती है और इससे निपटने के लिए अभी से ठोस उपाय करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि बिहार सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय वैज्ञानिकों की एक बड़ी टीम के साथ जलवायु परिवर्तन पर कार्य कर रहा है, जिससे न केवल राज्य बल्कि पूरे देश को लाभ मिलेगा।

देशभर में जलवायु अनुकूल कृषि को मिलेगी नई दिशा
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), आईएआरआई नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक (प्रसार) डॉ. आर. एन. पदारिया ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जिस वैज्ञानिक प्रविधि से इस सूचकांक का विकास किया गया है, वह अत्यंत उपयुक्त और व्यावहारिक है। उन्होंने कहा कि कुलपति डॉ. पांडेय के नेतृत्व में विकसित यह सूचकांक देशभर में जलवायु अनुकूल कृषि को नई दिशा देगा। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान कार्य कर रहा है और आईसीएआर, नई दिल्ली में यहां हो रहे विकास कार्यों की व्यापक चर्चा होती है।
नीति निर्धारकों और किसानों को मिलेगा लाभ
विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ. ए. के. सिंह ने जलवायु लचीलापन सूचकांक के विभिन्न आयामों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय मानकों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया यह सूचकांक नीति निर्धारकों के साथ-साथ किसानों के लिए भी अत्यंत उपयोगी साबित होगा।
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. रत्नेश झा ने कहा कि इस सूचकांक को इस तरह विकसित किया गया है कि किसान जलवायु परिवर्तन से जुड़े विभिन्न मानकों को आसानी से समझ सकें। प्रदान, नई दिल्ली के विशेषज्ञ मानस सत्पथी ने सूचकांक के व्यावहारिक उपयोग पर प्रकाश डाला।
रिलायंस फाउंडेशन के प्रभात झा ने संस्था के कॉरपोरेट रिस्पॉन्सिबिलिटी कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि फाउंडेशन ग्रामीण विकास और किसानों के सशक्तिकरण के लिए निरंतर कार्य कर रही है। कार्यक्रम के अंत में डॉ. एस. पी. लाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
कार्यशाला में ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर कॉलेज ऑफ फिशरीज के डीन डॉ. पी. पी. श्रीवास्तव, कॉलेज ऑफ बेसिक साइंस के डीन डॉ. अमरेश चंद्रा, स्कूल ऑफ एग्री-बिजनेस के निदेशक डॉ. रामदत्त, डॉ. घनश्याम झा, डॉ. रवीश चंद्रा, डॉ. कुमार राज्यवर्धन सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, वैज्ञानिक एवं विश्वविद्यालय के पदाधिकारी मौजूद रहे।


