Westerly Winds Will Blow From Today : समस्तीपुर और आसपास के इलाकों में पछिया हवा चलने के कारण ठंड में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। सुबह के समय घना कुहासा भी देखने को मिल रहा है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के मौसम विभाग ने 21 दिसंबर तक के लिए मौसम पूर्वानुमान जारी किया है, जिसमें उत्तर बिहार के जिलों में ठंड और बढ़ने की संभावना जताई गई है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 21 दिसंबर तक पछिया हवा चलती रहेगी, जिससे ठंड का असर बना रहेगा। इस दौरान अधिकतम तापमान 24 से 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 से 11 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। हवा की रफ्तार औसतन 3 से 5 किलोमीटर प्रति घंटे रहने का अनुमान है। 21 दिसंबर के बाद हवा के रुख में बदलाव होकर पूरवा हवा चलने की संभावना है, जिससे ठंड से कुछ राहत मिल सकती है।

सुबह के समय सापेक्ष आर्द्रता 85 से 95 प्रतिशत और दोपहर में 40 से 45 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। बीते 24 घंटे में समस्तीपुर का अधिकतम तापमान 24.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
किसानों के लिए मौसम एडवाइजरी जारी
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल सत्तार ने बदलते मौसम को देखते हुए किसानों के लिए विशेष सलाह जारी की है। उन्होंने बताया कि किसान गेहूं की पछात किस्म की बुवाई 25 दिसंबर से पहले अवश्य पूरी कर लें, क्योंकि इसके बाद बुवाई करने पर उपज में कमी आ सकती है। जिन किसानों की गेहूं की फसल 21 से 25 दिन की हो चुकी है, वे सिंचाई के साथ नत्रजन खाद का प्रयोग करें।
टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की विशेष निगरानी करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके लार्वा फल के अंदर घुसकर नुकसान पहुंचाते हैं। इसके नियंत्रण के लिए खेतों में पक्षी बसेरा लगाने की सलाह दी गई है। आलू की फसल में निकौनी करने और जिन किसानों के प्याज के पौधे 50 से 55 दिन के हो गए हैं, उन्हें रोपाई करने को कहा गया है। रोपाई के समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी कम से कम 15 सेंटीमीटर रखने की सलाह दी गई है।
मटर, टमाटर, बैंगन और मिर्च जैसी सब्जी फसलों में फल छेदक कीट का प्रकोप दिखने पर उपयुक्त दवा का छिड़काव करने की सलाह दी गई है।
इसके साथ ही ठंड के मौसम में दुधारू पशुओं की देखभाल और पोषण प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई गई है। पशुओं के आहार में तिलहन और अनाज की मात्रा बढ़ाने, जय और बरसीम जैसे पौष्टिक हरे चारे की पर्याप्त व्यवस्था करने तथा पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए प्रोबायोटिक दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी गई है। साथ ही खनिज और विटामिन मिश्रण 50 ग्राम प्रति पशु प्रतिदिन देने की भी सिफारिश की गई है।


