Success Story : समस्तीपुर में एक भाई-बहन की जोड़ी ने कमाल कर दिया है, दोनों को एक साथ बीपीएससी परीक्षा में सफलता मिली है। बीपीएससी तृतीय चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट शुक्रवार को आने के साथ ही जिले के रसलपुर गांव निवासी मनोज सिंह के घर खुशियों की बहार आ गई। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफलता पाने वाले दोनों भाई-बहन तैयारी कर रहे इलाके के अन्य छात्रों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। प्रेम कुमार और मधु कुमारी ने अपनी मेहनत और संघर्ष से ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिसकी शायद ही किसी ने कल्पना की होगी। उनकी यह उपलब्धि इलाके में चर्चा का विषय बन गई है। अब ये दोनों भाई-बहन अपने परिवार के लिए गर्व का कारण बन गए हैं और इनके बेहतरीन प्रदर्शन की प्रेरणा अन्य छात्रों के लिए भी रोल मॉडल बन गई है।
इस सफलता पर मधु कुमारी ने कहा कि उनके माता-पिता और दादा का सपना था कि वह कुछ बड़ा करें और उन्होंने उस सपने को साकार किया। बीएड के बाद दोनों भाई-बहन ने शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी की और आखिरकार यह सफलता हासिल की।
दरअसल, जब पहली बार बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा में उन्हें सफलता नहीं मिली तो हार मानने की बजाय उन्होंने अपनी मेहनत और भी बढ़ा दी। इसके बाद दोनों ने दूसरी बार ट्राई-3 परीक्षा की तैयारी की और इस बार दोनों का चयन हो गया। प्रेम कुमार और मधु कुमारी की मेहनत और संघर्ष ने साबित कर दिया कि जब इरादा मजबूत हो तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती।
प्रेम कुमार और मधु कुमारी की सफलता ने साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत और संघर्ष से कोई भी सपना साकार नहीं हो सकता। उनकी सफलता में उनके पिता मनोज सिंह का भी बड़ा योगदान है। मनोज सिंह का सपना था कि उनकी बेटी और बेटा अच्छे रिजल्ट लाएं और समाज में नाम कमाएं। दोनों भाई-बहन ने अपने पिता का सपना पूरा किया और अब उनका नाम समस्तीपुर जिले में चर्चा का विषय बन गया है।
पिता का सपना पूरा किया :
प्रेम कुमार और उनकी सगी बहन मधु कुमारी ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल की है, जिसकी चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। प्रेम कुमार ने लोकल 18 को बताया कि पहली बार असफल होने के बाद दोनों ने अपनी मेहनत दोगुनी कर दी। 26 दिसंबर को जारी रिजल्ट में उनका नाम राजनीति विज्ञान विषय के लिए चयनित हुआ। उन्होंने बताया कि कोचिंग की बजाय उन्होंने घर पर ही ऑनलाइन और ऑफलाइन संसाधनों का उपयोग करते हुए प्रतिदिन पांच से छह घंटे पढ़ाई की और सफलता हासिल की।