समस्तीपुर के जिला परिषद सदस्य अपने आठ सूत्री मांगों को लेकर जिला परिषद कार्यालय परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। सदस्यों का आरोप है कि उप विकास आयुक्त की उदासीनता के चलते जिला परिषद के विकास कार्यों में रुकावट आई है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की गति थम गई है।

जिला परिषद सदस्यों ने इस धरने के दौरान कई मुद्दों को उठाया है, जिनमें से प्रमुख हैं मनरेगा योजना में आपूर्तिकर्ताओं और मजदूरों का लंबित भुगतान। 15वीं वित्त आयोग मद से क्रियान्वित की गई योजनाओं में भी आपूर्तिकर्ताओं और मजदूरों का भुगतान पिछले 6 महीनों से अटका हुआ है। इसके अलावा, वर्ष 2024-25 के लिए विकास योजनाओं की वार्षिक कार्य योजना भी अब तक तैयार नहीं की गई है, जो कि नियमों के अनुसार मार्च 2024 से पहले ही तैयार हो जानी चाहिए थी।

धरने पर बैठे सदस्यों का कहना है कि पंचायत प्रतिनिधियों का भत्ता भी समय पर नहीं मिल रहा है, जिससे वे नाराज हैं। इसके अलावा, जिला परिषद में कार्यरत सभी कर्मचारियों का वेतन भी कई महीनों से लंबित है, जिससे कार्यालय के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।


