नगर निगम बनने के बाद समस्तीपुर के लोगों को यह उम्मीद थी कि बुनियादी सुविधाएं बेहतर होंगी, लेकिन पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए आज भी शहरवासी परेशान हैं। न तो नए चापाकल गड़े और न ही पुराने की मरम्मत हो सकी। गर्मी बढ़ने के साथ-साथ यह संकट और गंभीर होता जा रहा है।

समस्तीपुर नगर निगम क्षेत्र की लगभग तीन लाख की आबादी आज भी जल संकट की समस्या से जूझ रही है। नगर निगम बनने के तीन साल बाद भी एक भी नया सरकारी चापाकल नहीं लगाया गया है। पहले से लगे कई चापाकल या तो खराब हैं या फिर सार्वजनिक स्थानों से पूरी तरह गायब हो चुके हैं।

नगर निगम ने 47 वार्डों में 141 नए चापाकल और प्रत्येक वार्ड में एक समरसेबल लगाने की योजना एक साल पहले बनाई थी। इस प्रस्ताव को बोर्ड की मंजूरी भी मिल चुकी है और टेंडर की प्रक्रिया के लिए पीएचईडी विभाग को पत्र भी भेजा गया, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं हुआ है।

पुराने नगर परिषद क्षेत्र के 27 वार्डों में लगे चापाकलों में भी अधिकांश खराब हो चुके हैं। नए शामिल हुए 16 वार्डों की स्थिति और भी बदतर है, जहां न तो चापाकल हैं और न ही नल जल योजना की पाइपलाइन ठीक से बिछाई गई है। कुछ क्षेत्रों में पाइपलाइन होने के बावजूद नलों में पानी नहीं आता, जबकि कई घरों में अभी तक पाइपलाइन ही नहीं पहुंची है।

वार्ड 31 से 34 तक के कई निवासियों—जैसे कमलदेव साह, धीरेंद्र शर्मा, राजीव महतो, पंकज मिश्रा—ने बताया कि उन्हें गर्मियों में पानी के लिए रोजाना संघर्ष करना पड़ता है। चालू हालत में जो चापाकल हैं, वे भी सभी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं।

नगर निगम की ओर से हर साल कागजों पर मरम्मत और कार्य योजना की बातें होती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग है। न तो खराब चापाकलों की मरम्मत हुई और न ही कोई जांच की गई।
नगर निगम ने चापाकलों व समरसेबल गड़ाई स्थलों की लिस्ट नहीं भेजी है। लिस्ट मिलते ही काम को आगे बढ़ाया जाएगा। – संजय कुमार, पीएचईडी एसडीओ
![]()
वार्डो में चापाकलों की गाड़ने की प्रक्रिया चल रही है। पीएचईडी को लिखा गया है। यह काम नगर आयुक्त की ढिलाई के कारण देर हुई। – अनिता राम, मेयर

