समस्तीपुर जिले में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे प्रशासन सतर्क हो गया है। मंगलवार रात डीएम योगेंद्र सिंह ने जिले के सभी बीडीओ और प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक आपातकालीन बैठक की। इस बैठक में डेंगू की रोकथाम और उससे निपटने के उपायों पर गहन चर्चा की गई।
बैठक के दौरान डीएम योगेंद्र सिंह ने डेंगू के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की और संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने विशेष रूप से गंबूसिया मछली के उपयोग पर जोर दिया, जो डेंगू और मलेरिया के मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने में कारगर मानी जाती है। डीएम ने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे लोगों को गंबूसिया मछली के महत्व के बारे में जागरूक करें और सुनिश्चित करें कि जलजमाव वाले क्षेत्रों में इस मछली का इस्तेमाल किया जाए।
जिले के विभिन्न हिस्सों में जल जमाव और गंदे पानी के संग्रहण के कारण डेंगू के मच्छरों का प्रजनन तेजी से बढ़ रहा है। डीएम ने निर्देश दिए कि ऐसे क्षेत्रों में समय-समय पर फॉगिंग करवाई जाए और टेमीफोस जैसी आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, लोगों को इस बीमारी से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार करने पर भी बल दिया गया।
डीएम ने सभी बीडीओ और प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारियों से कहा कि वे नियमित रूप से अपने क्षेत्रों का दौरा करें और यह सुनिश्चित करें कि डेंगू की रोकथाम के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि डेंगू के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न माध्यमों का इस्तेमाल किया जाए, ताकि इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सके।
समस्तीपुर में डेंगू के बढ़ते खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। लेकिन क्या प्रशासनिक कदम और गंबूसिया मछली जैसे प्राकृतिक उपाय इस महामारी को काबू कर पाएंगे? यह सवाल अब भी बना हुआ है। समय रहते उठाए गए ये कदम क्या डेंगू के प्रकोप को रोकने में सफल होंगे? यह देखना बाकी है, लेकिन सतर्कता और जागरूकता ही इस लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार है।