राज्य में 30 लाख रुपये या उससे अधिक कीमत वाले जमीन रजिस्ट्री में खरीदार का पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) अनिवार्य है। निबंधन कार्यालयों को आयकर विभाग को इसकी जानकारी भी देनी होती है।

आयकर विभाग के मुताबिक ज्यादा निबंधन कार्यालय इसमें लापरवाही बरत रहे हैं। इसको देखते हुए आयकर अधिकारियों ने निबंधन कार्यालयों का सर्वेक्षण शुरू किया है। इसके साथ ही सूचना नहीं देने वाले निबंधन कार्यालयों को नोटिस भी दी जा रही है।

आयकर विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई जिला निबंधन कार्यालय आयकर के रडार पर हैं, जिन्होंने सूचना नहीं दी। इस क्रम में अब तक पटना और गया निबंधन कार्यालयों में आयकर विभाग का सर्वे हो चुका है।

सर्वे के दौरान विभाग को कुछ गड़बड़ियां भी मिली हैं, जिनकी छानबीन चल रही है। जरूरत पड़ने पर ऐसी रजिस्ट्री से संबंधित खरीदारों को नोटिस देकर उनके आय की स्त्रोत का पूछा जा सकता है।

फॉर्म-60 में लेनी होती है जानकारी
आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक बिना पैन 30 लाख रुपये से अधिक मूल्य की जमीन खरीदने वालों से निबंधन कार्यालयों को फॉर्म-60 लेना होता है। इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी पड़ती है, लेकिन बिहार में अधिकतर कार्यालयों ने नियमानुसार आयकर विभाग को जानकारी नहीं दी। कुछ कार्यालयों से मिली सूचना में पैन नंबर या अन्य सूचनाएं गलत पायी गयी।


अन्वेषण इकाई ने पटना-गया में खंगाले कई दस्तावेज
पिछले दिनों आयकर विभाग की आपराधिक अन्वेषण इकाई ने पटना निबंधन कार्यालय में कई घंटों तक दस्तावेज खंगाले थे। इस दौरान 2021-22 से 2023-24 के बीच की रजिस्ट्री की जांच की गयी। इसी तरह, मंगलवार को गया निबंधन कार्यालय का सर्वे हुआ। सूत्रों के मुताबिक कार्यालय में हुए सर्वेक्षण में हजारों ऐसे दस्तावेज मिले, जिनमें खरीदी गयी जमीनों का मूल्य 30 लाख से अधिक था। लेकिन उनसे संबंधित पैन और फॉर्म-60 का रिकॉर्ड गायब या अधूरा मिला। आयकर अधिकारी इन सभी दस्तावेजों को अपने साथ ले गये हैं। विस्तृत जांच की तैयारी है।

