NEET Exam Fraud : समस्तीपुर में नीट यूजी की परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थी बैठाने के मामले में गिरफ्तार डॉ. रंजीत कुमार और रामबाबू मल्लिक को पुलिस ने जेल भेज दिया। इस मामले में मुफस्सिल थानाध्यक्ष अजीत प्रसाद सिंह के द्वारा प्राथमिकी दर्ज की गई है। सूत्रों के अनुसार इन दोनों के मोबाइल फोन से पुलिस को कई सुराग भी मिले हैं, जिसके आधार पर छापेमारी की जा रही है।

जानकारी के अनुसार डॉ. रंजीत और रामबाबू कई वर्षों से यह गोरखधंधा चला रहे थे। इसके लिए डॉ. रंजीत अभ्यर्थी जुटाता था और रामबाबू पटना के माफिया के जरिए स्कॉलर की व्यवस्था करता था। रामबाबू और उसके ग्रुप के लोगों का बिहार और अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से संपर्क है। यह गैंग मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को पैसों का लालच देकर आसानी से स्कॉलर बनने के लिए तैयार कर लेते हैं।

बताया गया है कि असली अभ्यर्थियों से ये लोग एडवांस के रूप में कुछ पैसे लेते थे बाकि रिजल्ट के बाद लिया जाता था। इसके बदले गारंटी के तौर पर मैट्रिक व इंटर के मार्कशीट, सर्टिफिकेट समेत अन्य आरिजनल कागजात गिरवी रखे जाते थे। जो परीक्षा पास होने पर अभ्यर्थियों को तभी वापस किया जाता था जब इन्हें इनका पूरा पैसा मिल जाता था।

पुलिस के अनुसार इन दोनों आरोपियों के मोबाइल फोन में कई अहम जानकारियां छुपी हैं। उनके मोबाइल से न केवल अन्य गैंग सदस्यों के नामों का खुलासा होने की उम्मीद है, बल्कि दस्तावेज जैसे एडमिट कार्ड, आधार कार्ड और अभ्यर्थियों की तस्वीरें भी बरामद हुई हैं जिसके आधार पर स्कॉलर व अभ्यर्थी तक पहुंचा जा सकता है। पुलिस इन दस्तावेजों के आधार पर असली अभ्यर्थियों की पहचान कर उनसे भी पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। वहीं पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस तरह का फर्जीवाड़ा परीक्षा प्रक्रिया में कैसे संभव हो पाया। अगर इसमें परीक्षा केंद्र की भी भुमिका संदिग्ध है तो इसकी भी जांच की जाएगी।

एएसपी संजय पांडेय के अनुसार इन दोनों के अलावे इनके गैंग में कई अन्य हाई प्रोफाइल लोग भी शामिल हो सकते हैं, जिसकी जांच की जा रही है। इनके द्वारा देश के कई मेडिकल कॉलेजों में सेटिंग कर नामांकन कराया जाता था। इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है की इनके गैंग के द्वारा देश के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में फर्जी तरीके से अभ्यर्थियों को परीक्षा पास कराकर एमबीबीएस में दाखिला कराया गया है। वहीं संजीव मुखिया के गैंग से इन दोनों के जुड़े होने के सवाल पर एसडीपीओ ने बताया की अभी मामले की जांच चल रही है, अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया जा सकता है।


बताया गया है कि इन दोनों के द्वारा मेडिकल के अलावे इंजीनियरिंग, बीसीए, एमबीए, बीटेक, बीएड, डीएलएड आदि कोर्सों में छात्रों से मोटी रकम लेकर एडमिशन कराया जाता था। कई परीक्षा में पास कराने का ठेका लेते थे फर्जीवाड़ा करने वाले परीक्षा में सॉल्वर बैठाने वाले डॉ. रंजीत व रामबाबू मल्लिक ने बताया कि वे केवल मेडिकल की परीक्षा ही नहीं अन्य कई तरह की परीक्षा को भी पास कराने का ठेका लेते थे। जिन छात्रों से सौदा तय हो जाता था, उनसे बिना डेट भरा हस्ताक्षर किया हुआ एवं राशि भरा हुआ चेक एवं मूल प्रमाण पत्र गिरवी के रूप में रखते थे। इनके द्वारा बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश समेत अन्य जगहों पर पचास से अधिक एजेंटों को बहाल किया गया है, जो छात्रों को फंसाकर इनके पास लाते थे।

