World Yoga Day : आज पूरी दुनिया 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रही है। इस कड़ी में हम आपको बिहार के एक ऐसे योग विद्यालय के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भारत के साथ-साथ कई देशों में मशहूर है। यह दुनिया का पहला योग मानद विश्वविद्यालय है, जहां कई देशों से लोग योग सीखने आते हैं।

दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय: बिहार के मुंगेर में योग आश्रम को दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय होने का गौरव प्राप्त है। यहां से हर साल सैकड़ों योग साधक शिक्षा लेकर पूरी दुनिया में योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

1963 में हुई थी बिहार योग विद्यालय की स्थापना: गंगा नदी के तट पर बसा मुंगेर योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है। बिहार योग विद्यालय की स्थापना स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने 1963 में की थी। तब से मुंगेर योग केंद्र प्रशिक्षण दे रहा है।


इन देशों का किया था दौरा: मुंगेर योग केंद्र को स्थायित्व देने के लिए स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने वर्ष 1968 में मलेशिया, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस, हॉलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रिया और इटली जैसे देशों का दौरा किया था। यहां उन्होंने लोगों को योग के महत्व के बारे में बताया था।

निरंजनानंद सरस्वती को मिली थी जिम्मेदारी: वर्ष 1983 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी निरंजनानंद सरस्वती को बिहार योग विद्यालय की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद सत्यानंद सरस्वती ने वर्ष 1988 में बिहार योग विद्यालय छोड़ दिया और उच्च साधना करने तथा समाज के वंचित व उपेक्षित वर्ग के उत्थान के लिए काम करने झारखंड के एक छोटे से गांव रखिया में बस गए।
50 हजार से अधिक प्रशिक्षक तैयार किए गए: वर्ष 1983 से 2009 तक निरंजनानंद सरस्वती ने संस्थान को बखूबी संभाला। वर्ष 2009 में स्वामी शिवानंद संस्थान के अध्यक्ष बने। इस दौरान बिहार योग विद्यालय की ख्याति पूरे विश्व में फैल चुकी थी। यहां आम लोगों के लिए भी कोर्स शुरू किए गए। अब तक 50,000 से अधिक योग शिक्षक इस विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। बिहार योग विद्यालय के लिए एक अलग प्राकृतिक वातावरण बनाया गया है, ताकि किसी भी योग साधक को कोई परेशानी न हो।
योग के गुण: योग में कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक गुण होते हैं। योग करने से व्यक्ति का शरीर लचीला, मजबूत और स्वस्थ बनता है। साथ ही तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है। इसके अलावा भावनात्मक संतुलन भी बेहतर होता है। आत्म-स्वीकृति और आत्मविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है।
योग का प्रचार: बिहार योग विद्यालय देश के अलग-अलग संस्थानों में जाकर योग का प्रचार करता है। वहां के कर्मचारियों को योग सिखाया जाता है और योग का महत्व समझाया जाता है। जेल में बंद कैदियों के लिए भी संस्थान की ओर से योग के कोर्स कराए जाते हैं।
इन बीमारियों पर हुआ शोध: योग विश्वविद्यालय ने अस्थमा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों को योग के जरिए कैसे ठीक किया जाए, इस पर भी शोध किया है। बिहार योग विद्यालय योग प्रशिक्षण देने वाला एकमात्र शिक्षण संस्थान है। इसके 200 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और सैकड़ों राष्ट्रीय योग और आध्यात्मिक केंद्र हैं। इसे मानक विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। वर्तमान में यहां गुरुकुल शैली में चार महीने का योग सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किया जा रहा है।
ये हैं कोर्स सर्टिफिकेट: यह संस्थान दर्शन योग, मनोविज्ञान योग, अनुप्रयुक्त योग और पर्यावरण योग विज्ञान में उच्च अध्ययन के लिए एक वर्षीय और दो वर्षीय पाठ्यक्रम प्रदान करता है। संस्थान में योग अनुसंधान के लिए एक बड़ा पुस्तकालय भी है। दुनिया के कोने-कोने से छात्र यहां अध्ययन करने आते हैं। बाद में वे अपने-अपने देशों में जाकर योग केंद्र चलाते हैं।
विद्यालय के नियम: बिहार के मुंगेर स्थित योग आश्रम की दिनचर्या सुबह 4:00 बजे से शुरू होती है। योग प्रशिक्षण लेने वाले अभ्यर्थी सुबह 4:00 बजे अपनी दैनिक दिनचर्या पूरी करने के बाद योगाभ्यास शुरू करते हैं। पूरे दिन योग कक्षाएं संचालित होती हैं। शाम 6:30 बजे आश्रम में भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। उसके बाद शाम 7:30 बजे सभी अभ्यर्थी अपने-अपने कमरों में व्यक्तिगत अभ्यास करते हैं।

(credit : etvbharat.com)

