बिहार की राजनीति में हलचल तब बढ़ गई जब दिवंगत राजद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन के परिवार ने एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया। हेना शहाब और ओसामा शहाब की पार्टी में वापसी से राजद की ताकत में इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है, वहीं पार्टी समर्थक इसे बदलाव की दिशा में एक कदम मान रहे हैं।

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की उपस्थिति में पटना में आयोजित एक समारोह में हेना शहाब और उनके बेटे ओसामा शहाब को राजद में फिर से शामिल किया गया। इस अवसर पर तेजस्वी यादव ने अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि शहाबुद्दीन परिवार की वापसी से सिवान और पूरे बिहार में पार्टी को मजबूती मिलेगी।

तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मोहम्मद शहाबुद्दीन राजद के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, और उनकी विरासत को आगे बढ़ाने में हेना और ओसामा का योगदान महत्वपूर्ण होगा। उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थकों ने भी पार्टी की सदस्यता ली, जो राजद के धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि “फिरकापरस्त शक्तियों के खिलाफ एकजुटता बेहद जरूरी है।” तेजस्वी ने यह भी जोर दिया कि सांप्रदायिकता की साजिश के खिलाफ एकजुट होकर मुकाबला करना समय की मांग है।

राजनीति विश्लेषकों के अनुसार, हेना शहाब की अनुपस्थिति से राजद को हाल के चुनावों में नुकसान उठाना पड़ा था। राजद नेता हरिशंकर यादव ने कहा कि अगर हेना शहाब पहले से ही पार्टी में होतीं, तो संभवतः लोकसभा में राजद की सीटें बढ़ सकती थीं। उन्होंने कहा कि “देर आए, पर दुरुस्त आए”।

हेना शहाब ने कुछ वर्षों पहले राजद से असंतोष के चलते सिवान से निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हालांकि, जेडीयू की विजयलक्ष्मी कुशवाहा से हार गईं, जबकि राजद के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे। इससे पहले भी 2009, 2014, और 2019 में उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन जीतने में असफल रहीं। परिवार की पार्टी में वापसी से आगामी चुनावों में राजद को नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।