बिहार के पटना विवि (पीयू) और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएमएनयू), दरभंगा को शोध विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया है। भारत सरकार ने इसका स्वीकृति पत्र बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद को भेज दिया है। इन दोनों विश्वविद्यालयों को जल्द ही 100-100 करोड़ रुपये दिये जाएंगे। गौर हो कि इन दोनों विश्वविद्यालयों को शोध विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने की खबर आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने 6 दिसम्बर के अंक में ब्रेक की थी।
प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम उषा) के तहत इन दोनों विश्वविद्यालयों को यह दर्जा मिला है। इससे इन दोनों विश्वविद्यालयों में शोध कार्य को और बढ़ावा मिलेगा। देशभर के 35 विश्वविद्यालयों को इस वर्ष यह दर्जा दिया गया है, जिनमें दो बिहार के हैं।
राशि इन कार्यों पर खर्च होगी मिलने वाली 100 करोड़ की राशि से विश्वविद्यालयों के बुनियादी ढांचे, अनुसंधान सुविधाएं, आधुनिक लैब उपकरण, स्मार्ट क्लास समेत अन्य शैक्षणिक गतिविधियों-कार्यक्रमों को बढ़ाने में सहयोग मिलेगा। विश्वविद्यालयों में सरकारी राशि की बेहतर उपयोगिता, शोध कार्य, उसके इतिहास आदि के आधार पर अनुसंधान विश्वविद्यालयों का चयन किया गया है। इस संबंध में पदाधिकारी बताते हैं कि विश्वविद्यालयों में सरकारी पैसों का बेहतर उपयोग, वहां के शोध कार्य, उसके इतिहास आदि को देखते हुए इन दोनों विश्वविद्यालयों का चयन किया गया है। पटना और मिथिला दोनों विश्वविद्यालयों का समृद्ध इतिहास रहा है।
यहां शोधकार्यों को अपने संसाधनों से भी पहले से प्रमुखता दी जाती रही है। इसके अलावा राज्य के तीन विश्वविद्यालयों को पठन-पाठन से जुड़े आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए 20-20 करोड़ मिलेंगे। इनमें भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा और नालंदा खुला विश्वविद्यालय शामिल है।