Bihar Tola Sevak Vacancy 2024 : बिहार शिक्षा विभाग में फिर खुला भर्ती का पिटारा.

बिहार के विभिन्न जिलों में 2578 शिक्षा सेवकों की बहाली होने जा रही है। जन शिक्षा निदेशक अनिल कुमार ने सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को पत्र भेजकर जून में ही इस बहाली प्रक्रिया को पूरा करने का अनुरोध किया है। नालंदा जिले के उत्थान केन्द्रों में 54 और तालीमी मरकज केन्द्रों में 27 शिक्षा सेवकों समेत पूरे राज्य के उत्थान केन्द्रों में 1465 और तालीमी मरकज केन्द्रों में 1113 शिक्षा सेवकों की बहाली की जानी है।

   

नालंदा जिले की स्थिति

  • उत्थान केन्द्रों में कार्यरत: 448 शिक्षा सेवक
  • तालीमी मरकज केन्द्रों में कार्यरत: 101 शिक्षा सेवक

राज्यव्यापी आंकड़े

  • उत्थान केन्द्रों में कार्यरत: 18,467 शिक्षा सेवक
  • तालीमी मरकज केन्द्रों में कार्यरत: 8,058 शिक्षा सेवक

बहाली की प्रक्रिया

निदेशक अनिल कुमार ने डीएम को लिखे पत्र में बताया है कि महादलित, दलित, अल्पसंख्यक, और अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत जिलों में उत्थान केन्द्रों और तालीमी मरकज केन्द्रों में शिक्षा सेवकों के रिक्त पदों पर बहाली की प्रक्रिया पहले ही शुरू की गई थी। कई जिलों में चयन और प्रशिक्षण भी पूरा कर लिया गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण कई जिलों में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी। अब चुनाव आचार संहिता समाप्त होने पर इन रिक्त पदों पर बहाली की प्रक्रिया को तत्काल शुरू करने का आदेश दिया गया है।

अक्षर आंचल योजना

इस योजना के तहत शिक्षा सेवकों को महादलित, दलित, अल्पसंख्यक, और अतिपिछड़ा वर्ग के बच्चों को स्कूल पूर्व कोचिंग कराने और असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। शिक्षा सेवकों का काम इन बच्चों को स्कूल भेजने और महिलाओं को कोचिंग देकर साक्षर बनाने का है।

 

पदाधिकारियों का बयान

नालंदा के डीपीओ (साक्षरता) मो. शाहनवाज ने बताया कि महादलित और दलित टोलों के सर्वे की सूची बीडीओ से मांगी गई है, लेकिन 10 प्रखंडों के बीडीओ ने सूची नहीं भेजी है। इस वजह से रिक्तियों का संधारण नहीं हो सका है। संबंधित बीडीओ से फिर से सूची मांगी गई है ताकि निर्धारित समय पर शिक्षा सेवकों की बहाली प्रक्रिया पूरी की जा सके।

इस तरह, बिहार में शिक्षा सेवकों की बहाली प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है, जिसका उद्देश्य महादलित, दलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़ा वर्ग के बच्चों और महिलाओं को साक्षर और शिक्षित बनाना है।

   

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