Bihar Politics : बिहार में विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीने बचे हैं। सभी राजनीतिक दल इसकी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत बिहार दौरे पर पहुंचीं। उन्होंने मंगलवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस की गारंटी और दूसरों के खोखले वादों में फर्क समझाया। उन्होंने कहा कि आज बिहार में बीजेपी के पास न तो चेहरा है और न ही मुद्दा। बीजेपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमीन काटने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उनके घटक दलों द्वारा ही ज्यादा मजाक उड़ाया जा रहा है।

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार के राजनीतिक हालात पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने राज्य में बदलाव की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि बिहार के युवा और महिलाएं अब नई राह चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ‘बिहार में क्रांति होने वाली है, बिहार के युवा मन बना चुके हैं। कांग्रेस किसी भी चुनाव से पहले कोई वादा करती है तो उसे पूरा करती है। कांग्रेस ने बिहार की महिलाओं से भी वादा किया है। बिहार में अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो माई-बहन मान योजना के तहत महिलाओं के खाते में सीधे 2500 रुपये प्रतिमाह भेजे जाएंगे।’

रजिस्ट्रेशन के लिए करना होगा मिस्ड कॉल: उन्होंने कहा कि 21 मई को बिहार कांग्रेस ने माई-बहन मान योजना की घोषणा की थी। कांग्रेस ने एक पोस्टर भी जारी किया था। इस राज्य स्तरीय अभियान के तहत कांग्रेस राज्य की सभी महिलाओं से गारंटी फॉर्म भरवाएगी और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद हर जरूरतमंद महिला के खाते में सीधे 2500 रुपये प्रतिमाह मानदेय भेजा जाएगा। इस अभियान से जुड़ने के लिए कांग्रेस संगठन ने मिस्ड कॉल नंबर 8800023525 भी जारी किया है जिसके तहत महिलाओं को रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

‘आर्थिक रूप से सशक्त होंगी तो महिलाएं सुरक्षित होंगी’:


उन्होंने कहा कि ‘महिलाएं जितनी आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, उतनी ही सामाजिक रूप से सुरक्षित होंगी। महिलाओं के हाथ में पैसा आएगा तो परिवार बढ़ेगा। जब एक महिला के पास पैसा आता है तो वह उससे जुआ नहीं खेलती, बल्कि अपने परिवार की सुरक्षा पर खर्च करती है। मीडिया को संबोधित करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ‘दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी, तब शीला दीक्षित जी ने ‘लाडली योजना’ शुरू की थी, बेटी के जन्म पर 36 हजार रुपये दिए जाते थे। वहीं, पहली से 12वीं कक्षा तक की बेटी को 25 हजार रुपये दिए जाते थे। जब वह बेटी 12वीं में पहुंची तो उसे एक लाख रुपये दिए गए। इससे उसकी शिक्षा में काफी मदद मिली। इसी वजह से दिल्ली में शिक्षा का स्तर बढ़ा।’


