बिहार सरकार ने एक बार फिर अपने अधिकारियों पर कड़ा फैसला लिया है। सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत की विभिन्न योजनाओं में बची हुई राशि बैंक खाते में नहीं जमा करने को लेकर कई पदाधिकारियों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। इसमें जिला पंचायत राज पदाधिकारी, अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी और पंचायत सचिवों के वेतन पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है।
अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह ने विभागीय समीक्षा बैठक में यह आदेश दिया है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने चेतावनी दी है कि वेतन भुगतान पर तब तक रोक लगी रहेगी जब तक ये लोग बची हुई राशि बैंक खाते में जमा नहीं करते हैं। विभाग की ओर से पहले भी सभी अधिकारियों और पदाधिकारियों को चेतावनी जारी की गई थी, जिसका असर नहीं पड़ने पर उनके खिलाफ यह कठोर कदम उठाया गया है।
नियम यह है कि खर्च नहीं हुई राशि (अव्यहृत) सरकार के खाते में जमा कराई जाती है, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया है। बैठक में लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र और डीसी विपत्रों की समीक्षा की गई। सभी जिलों को कहा गया कि वे महालेखाकार कार्यालय में जल्द से जल्द उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करने की कार्रवाई करें। अगर नई प्रक्रिया में कोई परेशानी हो रही है तो पुरानी प्रक्रिया से ही उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा कराएं। जिला पंचायत राज पदाधिकारी और अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे बचे हुए पंचायतों का भी जल्द से जल्द ऑनलाइन ऑडिट कर लें।
मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के बारे में बताया गया कि जिलों में पिछले कई महीनों से जिलाधिकारी के साथ इस योजना की समीक्षा नहीं की गई है। कहा गया कि लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी होते ही जिलाधिकारी के साथ समीक्षा बैठक करें और प्रतिवेदन भेजें।
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