जहाँ देश के कई हिस्सों में मानसून का स्वागत हर्षोल्लास के साथ किया जा रहा है, वहीं बिहार और झारखंड समेत कई राज्यों में बारिश की कमी से भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। इसका मुख्य कारण बंगाल की खाड़ी शाखा का कमजोर पड़ना है। पिछले दो सालों में बिहार में बारिश की मात्रा में 32 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है, जबकि बारिश के दिनों की संख्या में 25 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है। झारखंड की स्थिति भी लगभग समान ही है।
बारिश के आंकड़े और स्थिति
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार में मानसून की अवधि 122 से 124 दिनों की होती है। राज्य में मानसून का समय 13 जून से 15 अक्टूबर तक होता है, जिसमें सामान्य बारिश का औसत 992 मिमी है। वर्ष 2022 में मात्र 683 मिमी बारिश हुई, जबकि वर्ष 2023 में 760.5 मिमी बारिश दर्ज की गई। इस प्रकार, वर्ष 2022 में 32 प्रतिशत कम बारिश हुई, जबकि 2023 में लगभग 24 प्रतिशत की कमी रही। हालांकि, इससे पहले के तीन वर्षों 2019, 2020, और 2021 में क्रमशः तीन प्रतिशत, 25 प्रतिशत, और तीन प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी।
विशेषज्ञों की राय
इंडियन मेट्रोलॉजिकल सोसायटी के बिहार चैप्टर के अध्यक्ष और पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर प्रधान पार्थ सारथी का कहना है कि बिहार में प्री-मानसून सीजन के दौरान अप्रैल-मई में आने वाली आंधी-बारिश की घटनाओं में इस साल कमी आई है। इससे तापमान में बढ़ोतरी और प्री-मानसून सीजन में बारिश के दिनों की संख्या में कमी आई है। पिछले दो वर्षों से मानसून अवधि के दौरान भी बारिश की असामान्य स्थिति बनी हुई है, जिससे बिहार को काफी नुकसान हुआ है।
मानसून की शाखाएं
भारत में मानसून की दो मुख्य शाखाएं हैं: बंगाल की खाड़ी शाखा और अरब सागर शाखा। विशेषज्ञ बताते हैं कि मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा लगातार दूसरे वर्ष कमजोर पड़ रही है। इससे बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में बारिश नहीं हो रही है और लोग गर्मी से त्रस्त हैं। वहीं, मानसून की अरब सागर शाखा की मजबूती के कारण महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक में अच्छी बारिश हो रही है।
भविष्य की संभावना
मौसम विभाग का कहना है कि अगले कुछ दिनों में बिहार और झारखंड में मौसम में बदलाव की संभावना है। तीन दिनों बाद तापमान में गिरावट आने से लोगों को राहत मिल सकती है। हालांकि, मानसून कमजोर होने के बावजूद, आने वाले हफ्तों में कुछ हिस्सों में बारिश हो सकती है।
इस परिस्थिति को देखते हुए, सरकार और स्थानीय प्रशासन को किसानों और आम जनता के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है ताकि वे इस भीषण गर्मी और संभावित सूखे से निपट सकें।