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Bihar Election 2025 : सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के लिए एक-एक वोट है कीमती, मात्र 12 हजार वोट से चूके थे तेजस्वी.

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By Samastipur Today Desk


Bihar Election 2025 : सीएम की कुर्सी तक पहुंचने के लिए एक-एक वोट है कीमती, मात्र 12 हजार वोट से चूके थे तेजस्वी.

 

Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछ चुकी है। मोहरे अपनी चाल चल रहे हैं। पिछली बार तेजस्वी यादव महज 12 हजार वोटों से सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने से चूक गए थे। इस बार वह कोई गलती नहीं करना चाहते। इसलिए आरजेडी अपना वोट बैंक बढ़ाने के साथ-साथ अखिल भारतीय गठबंधन को एकजुट रखने में लगी हुई है।

 

तेजस्वी 12,768 वोटों से हारे:

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के आंकड़े काफी दिलचस्प रहे। सुबह से शाम तक आंकड़े बदलते रहे। कांटे की टक्कर के बीच एनडीए ने जीत हासिल की। ​​दोनों गठबंधनों के बीच जीत का अंतर महज 12,768 वोटों का रहा। बिहार चुनाव (2020) में एनडीए को 1 करोड़ 57 लाख 1 हजार 226 वोट मिले, वहीं महागठबंधन को 1 करोड़ 56 लाख 88 हजार 458 वोट मिले। वोट प्रतिशत की बात करें तो नीतीश के नेतृत्व वाले एनडीए को 37.26 फीसदी वोट मिले, जबकि तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 37.23 फीसदी वोट मिले। वोट प्रतिशत में अंतर महज 0.03 फीसदी रहा।

सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी बनी राजद:

तेजस्वी सीएम बनने से चूक गए, लेकिन उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल 2020 के चुनाव में बिहार में सबसे ज्यादा सीटें (75) जीतने में कामयाब रही। भाजपा को 74 सीटें मिलीं, नीतीश की जदयू 43 सीटों पर सिमट गई। एनडीए को 125 सीटें और महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं।

राजद का वोट शेयर बढ़ा था :

2020 के विधानसभा चुनाव में राजद का वोट शेयर बढ़ा था। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को 23.11 फीसदी वोट मिले थे, जबकि साल 2015 में राजद को 18.35 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, भाजपा और जदयू का वोट शेयर कम हुआ था। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 19.46 फीसदी वोट मिले थे, जबकि जदयू को 15.42 फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस का वोट शेयर 9 फीसदी के करीब रहा था। लेफ्ट पार्टियां करीब 2 फीसदी वोट पाने में कामयाब रही थीं। लोजपा को 5.69 फीसदी वोट मिले।

वोट शेयर बढ़ाने में जुटी राजद:

राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को हराने के लिए राजनीतिक समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में उन्होंने मंगल लाल मंडल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। मंगल लाल मंडल धानुक समुदाय से आते हैं। माना जा रहा है कि नीतीश के पिछड़े वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए लालू ने मंगल लाल को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है।

 

 

कौन हैं मंगनी लाल मंडल?

मंगनी लाल मंडल की गिनती समाजवादी नेताओं में होती रही है। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के साथ पिछड़ी-अति पिछड़ी जाति की राजनीति की है। वे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के रणनीतिकार भी रहे हैं। मंडल आंदोलन से निकले मंगनी लाल मंडल 1986 से 2004 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। 2004 से 2009 तक वे राजद से राज्यसभा सांसद रहे। इसके बाद 2009 से 2014 तक जदयू से लोकसभा सांसद बने। 2024 में जब जदयू ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो वे नाराज हो गए। उन्होंने जदयू छोड़ दी। फिर 6 जनवरी 2025 को राजद में शामिल हो गए।

लोकसभा में कुशवाहा वोट में सेंध लगाई:

लालू यादव ने लोकसभा चुनाव में कुशवाहा वोट में जबरदस्त सेंध लगाई थी। राजद नेतृत्व ने कुशवाहा और वैश्य समुदाय को खुश कर शाहाबाद क्षेत्र में एनडीए को शून्य पर ला दिया था। राजद ने जदयू के लव-कुश फॉर्मूले को ध्वस्त कर दिया था।

सहनी बनना चाहते हैं डिप्टी सीएम:

विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी की महत्वाकांक्षा राज्य की राजनीति में जगजाहिर है। वे बिहार के डिप्टी सीएम बनना चाहते हैं। सहनी कहते हैं कि वीआईपी के पास कुल 14 प्रतिशत मल्लाह वोट हैं, दूसरी पार्टियों का मानना ​​है कि बिहार में मल्लाह वोट 7 प्रतिशत है. जबकि जातिगत सर्वे में मल्लाहों की संख्या 2.6 प्रतिशत बताई गई है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी ने आखिरी समय में पाला बदल लिया और महागठबंधन छोड़ दिया. फिर वे एनडीए में शामिल हो गए. जातिगत सर्वे पर भी गौर करें तो मल्लाह मतदाता आगामी विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.