Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब ज्यादा समय नहीं बचा है और चुनावी समर का असर राज्य की राजनीति में भी देखने को मिल रहा है। चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बन चुके प्रशांत किशोर इस बार भी चुनावी मैदान में हैं। पीके की पार्टी जन सुराज अपने राजनीतिक मंसूबे को नपे-तुले तरीके से लागू करती दिख रही है। वह तेजस्वी यादव के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलते हैं और लालू के राज में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हैं। वह सीधे तौर पर नीतीश कुमार और कभी-कभी बीजेपी पर भी सवाल उठाते नजर आते हैं। वहीं दूसरी ओर वह केंद्रीय मंत्री और एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान की तारीफ भी करते नजर आते हैं। समझिए इसके पीछे पीके की मंशा क्या है।

तेजस्वी पर क्यों हमलावर हैं प्रशांत किशोर?
हाल ही में एक मीडिया समूह को दिए इंटरव्यू में पीके ने तेजस्वी यादव के विकास मॉडल की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि तेजस्वी जीडीपी ग्रोथ को नहीं समझते हैं। इसके अलावा वह अपने और अपने परिवार के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर भी आक्रामक रहते हैं। वह परिवारवाद का आरोप लगाते रहते हैं। वहीं दूसरी ओर वे परिवारवाद की राजनीति से निकले चिराग पासवान की तारीफ करते हैं। पीके ने कहा था कि चिराग जातिवाद की राजनीति से ऊपर उठकर बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं।

जातिगत समीकरण बदलने की रणनीति:
बिहार का इतिहास बताता है कि यादव-मुस्लिम (एमवाई) और लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) समीकरण चुनावी जीत में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। एमवाई ब्लॉक में करीब 32 फीसदी वोट बैंक है और इसे आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17.7 फीसदी है और 243 में से 47 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है। प्रशांत किशोर की नजर इस वोट बैंक के साथ-साथ हर जाति समूह के युवाओं को जोड़ने पर है। चिराग पासवान खुद को तेजस्वी से बेहतर युवा विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

पासवान जाति का वोट बैंक 5 से 6 फीसदी है और चिराग पासवान की तारीफ करने के पीछे पीके उस समीकरण को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं। जनसुराज के पास अपना कोई वोट बैंक नहीं है। जाहिर है, वह दूसरे दलों के वोटों में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे। पीके दलितों और मुसलमानों के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं और उनका फोकस बिहारी युवाओं पर भी है। वह रोजगार मुहैया कराने और पलायन रोकने जैसे मुद्दों को जोरदार तरीके से उठा रहे हैं। यही वजह है कि वह समय-समय पर चिराग पासवान की तारीफ करते रहते हैं।


गठबंधन की संभावना नहीं:
प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव में गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि पीके और चिराग पासवान साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, इसकी संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है। चिराग ने भले ही सीएम बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को न छिपाया हो, लेकिन वह यह भी दोहराते हैं कि एनडीए बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा।


