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Vaibhav Suryavanshi Became The Sixer King By Hitting 14 Sixes : अंडर-19 एशिया कप में वैभव सूर्यवंशी का धमाका 14 छक्कों के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड.

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By Samastipur Today Desk

 


 

Vaibhav Suryavanshi Became The Sixer King By Hitting 14 Sixes : अंडर-19 एशिया कप में वैभव सूर्यवंशी का धमाका 14 छक्कों के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड.

 

Vaibhav Suryavanshi Became The Sixer King By Hitting 14 Sixes : अंडर-19 क्रिकेट एशिया कप में अपनी विस्फोटक बल्लेबाज़ी से इतिहास रचने वाले वैभव सूर्यवंशी को लेकर उनके परिवार और गांव में गर्व और उत्साह का माहौल है। दुबई में खेले गए मुकाबले में वैभव ने यूएई के खिलाफ 95 गेंदों पर 171 रन की ऐतिहासिक पारी खेली, जिसमें उन्होंने 14 छक्के और 9 चौके लगाए। इस प्रदर्शन के साथ ही वे यूथ वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा छक्के लगाने वाले बल्लेबाज़ बन गए।

 

वैभव की इस पारी ने वर्ष 2008 में बने 12 छक्कों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उनकी इस पारी का स्ट्राइक रेट लगभग 180 रहा।

“सीनियर टीम इंडिया में खेलना तय है” — बड़े दादा

वैभव सूर्यवंशी के बड़े दादा, 83 वर्षीय उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा,
“वैभव का सीनियर टीम इंडिया में चयन तय है। आज नहीं तो कल मेरा पोता जरूर सीनियर टीम इंडिया में खेलेगा। कब खेलेगा, ये न मेरे हाथ में है, न आपके और न वैभव के। लेकिन उसके खेल को देखकर गर्व होता है। 14 साल की उम्र में वह सिक्सर किंग बन गया है। आगे क्या करेगा, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्रायन लारा और क्रिस गेल जैसे दिग्गज उसे खेलते देख कहते हैं कि उनका रिकॉर्ड टूटने वाला है।”

पिता का संघर्ष और कोच की मेहनत

वैभव के कोचों के अनुसार, उनके पिता संजीव सूर्यवंशी ने बेटे के क्रिकेट करियर के लिए अथक मेहनत की। वे हर दूसरे दिन लगभग 100 किलोमीटर दूर मैच दिखाने ले जाते थे। जब भी वैभव अतिरिक्त ट्रेनिंग करता, उनके पिता न सिर्फ वैभव बल्कि उसके साथ अभ्यास करने वाले सभी 10 खिलाड़ियों के लिए टिफिन पैक करके लाते थे, क्योंकि साथी गेंदबाज वैभव को अतिरिक्त समय तक गेंदबाज़ी करते थे।

उम्र को लेकर उठा विवाद, मेडिकल टेस्ट से हुआ स्पष्ट

वैभव की उम्र को लेकर कुछ समय से विवाद भी सामने आया, लेकिन उनके पिता द्वारा कराए गए मेडिकल टेस्ट में उनकी उम्र सही पाई गई। स्टेट कोच प्रमोद कुमार ने एक इंटरव्यू में वैभव को शांत, अनुशासित और क्रिकेट के प्रति समर्पित खिलाड़ी बताया। उन्होंने कहा कि “वैभव उसी तरह का खिलाड़ी है, जो क्रिकेट खेलने के लिए ही पैदा हुआ है।”

गांव में जश्न, पड़ोसियों में खुशी

समस्तीपुर के ताजपुर गांव में वैभव की पारी को लेकर उत्सव जैसा माहौल रहा। पड़ोसी संजय नायक ने बताया कि जैसे ही वैभव ने शुरुआत में आक्रामक बल्लेबाज़ी की, उन्हें लग गया था कि वह कोई इतिहास रचने जा रहा है।
उन्होंने कहा, “पूरे बिहार और समस्तीपुर के लोग टीवी से चिपके हुए थे। वैभव एक-एक शॉट से रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा था।”

एक अन्य पड़ोसी दीपक ने कहा कि मौजूदा फॉर्म को देखते हुए बीसीसीआई को वैभव की प्रतिभा का लाभ उठाना चाहिए।
“अगर उसे मौका मिला, तो वह अकेले टीम की आधी बल्लेबाज़ी संभाल सकता है,” उन्होंने कहा।

बचपन से ही क्रिकेट के प्रति जुनून

वैभव के बड़े दादा उपेंद्र सिंह ने बताया कि वैभव बचपन से ही बेहद मेहनती रहा है। पढ़ाई से ज्यादा उसका मन क्रिकेट में लगता था। वह सुबह 4:30 से 5 बजे उठकर अभ्यास करता था। पढ़ाई का मन न होने पर घर के पास बनी पिच पर पिता के साथ प्रैक्टिस शुरू कर देता था।

बचपन के कोच का दावा

वैभव के बचपन के कोच ब्रजेश ने बताया कि वह पटेल मैदान, समस्तीपुर में नियमित अभ्यास करता था।
“चिलचिलाती धूप में भी वह रोज़ 5–6 घंटे प्रैक्टिस करता था। सुबह 10 बजे से शाम 3:30 बजे तक लगातार अभ्यास करता था। आज उसका परिणाम पूरी दुनिया देख रही है,” उन्होंने कहा।

जमीन बेचकर बेटे का सपना संजोया

27 मार्च 2011 को समस्तीपुर के ताजपुर में जन्मे वैभव ने महज 5 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। 7 साल की उम्र में उन्हें क्रिकेट एकेडमी में दाखिल कराया गया। बेटे के टैलेंट को पहचानते हुए पिता संजीव सूर्यवंशी ने उसकी ट्रेनिंग के लिए अपनी जमीन तक बेच दी। पहले समस्तीपुर और फिर पटना की जेन एक्स क्रिकेट एकेडमी में वैभव को बेहतर प्रशिक्षण दिलाया गया।

आज वैभव सूर्यवंशी न सिर्फ बिहार बल्कि देश के सबसे होनहार युवा क्रिकेटरों में गिने जा रहे हैं, और उनके खेल ने यह साफ कर दिया है कि आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट को एक नया सितारा मिलने वाला है।