समस्तीपुर शहर के विकास के साथ-साथ यहां कूड़ा प्रबंधन की समस्या गहराती जा रही है। हर दिन 100 टन से अधिक कचरा निकलता है, लेकिन इसके निस्तारण के लिए नगर निगम के पास कोई स्थायी समाधान नहीं है। शहर के नए वार्ड कूड़ा डंपिंग के अस्थायी स्थल बन गए हैं, जिससे स्थानीय लोगों के जीवन और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है।
नगर निगम के पास कूड़ा प्रबंधन की कोई स्थायी योजना नहीं है, जिससे हर दिन निकलने वाले कचरे को किराए के अस्थायी स्थलों पर डंप किया जा रहा है। ये स्थान अब शहर के नए वार्डों में स्थित हैं, जो धीरे-धीरे कचरे से भरते जा रहे हैं। वार्ड 15 के रंजीत कुमार, वार्ड 22 के रामसेवक महतो और अन्य स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस समस्या पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि कूड़ा डंपिंग के कारण इन इलाकों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इससे स्थानीय निवासियों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
नगर निगम की पूर्व योजनाएं, जैसे घर-घर से कूड़ा उठाने और उसकी प्रोसेसिंग कर खाद बनाने की योजना, केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं। धरमपुर स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड में स्थापित प्लांट भी अभी तक क्रियान्वित नहीं हुआ है। लोगों की मांग है कि स्थायी समाधान के लिए ठोस पहल की जाए, लेकिन नगर निगम की उदासीनता के कारण यह समस्या बढ़ती जा रही है।
स्थायी डंपिंग ग्राउंड के लिए नगर निगम ने 15 एकड़ भूमि की योजना बनाई थी, लेकिन कोई भी जमीन मालिक सरकारी दर पर अपनी जमीन कचरा डंपिंग के लिए देने को तैयार नहीं है। इससे संबंधित फंड भी अधर में लटका हुआ है। नगर निगम बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि यह समस्या हल होगी, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।
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