समस्तीपुर के रानीटोल गांव ने कृषि क्षेत्र में नई दिशा दिखाते हुए बटन मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में एक पहचान बनाई है। यहां अनुसूचित जाति के किसानों ने संगठित प्रयासों से न केवल मशरूम उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि इसे रोजगार का स्थायी साधन भी बनाया है।
रानीटोल गांव में वर्तमान में 30 परिवार मशरूम उत्पादन में सक्रिय हैं। इन परिवारों ने कुल 27 झोपड़ियों में बटन मशरूम की खेती शुरू की है। प्रत्येक झोपड़ी करीब 1600 से 1800 वर्ग फीट क्षेत्र में फैली है। इससे प्रतिदिन एक से डेढ़ क्विंटल बटन मशरूम का उत्पादन हो रहा है, जिसे समस्तीपुर, दरभंगा और पटना जैसे बाजारों में बेचा जा रहा है।
गांव में इस कार्य की अगुवाई नंदन पासवान कर रहे हैं, जिन्होंने अपने नेतृत्व में स्थानीय युवाओं और परिवारों को इस व्यवसाय से जोड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि यहां करीब 100 लोग, जिनमें प्रत्येक परिवार के 3-4 सदस्य शामिल हैं, इस रोजगार से जुड़कर अपनी आजीविका सुधार रहे हैं।
शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र, बिरौली के वैज्ञानिकों की टीम ने गांव का दौरा किया। टीम के प्रमुख डॉ. आर.के. तिवारी ने किसानों से बातचीत की और उनकी समस्याओं को समझने के बाद तकनीकी सुझाव दिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह गांव न केवल मशरूम उत्पादन में आगे बढ़ रहा है, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा भी बन रहा है।
डॉ. तिवारी ने बताया कि आज के समय में जब युवा कृषि क्षेत्र में आने से कतराते हैं, रानीटोल के युवा अपने सामूहिक प्रयासों से इस धारण को बदल रहे हैं। इस काम के कारण गांव के लोगों को न केवल बेहतर आमदनी हो रही है, बल्कि यह एक नए सामाजिक और आर्थिक बदलाव का प्रतीक भी बन रहा है।
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