समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र के नरहन गांव में रविवार को करंट लगने से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई। मृतकों में अरुण राम (40), उनकी मां शांति देवी (60) और भतीजा अजीत राम (16) शामिल हैं। सोमवार को जब तीनों का अंतिम संस्कार किया गया तो गांव में कोहराम मच गया।

अरुण के पांच छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिनमें तीन माह के जुड़वां भी शामिल हैं। इस हादसे ने पूरे गांव को झकझोर दिया। हर कोई यही सवाल कर रहा था कि अब इन बच्चों का भविष्य क्या होगा और उनका पालन-पोषण कैसे होगा।

बांस से घर तक लाई गई थी बिजली, बारिश में गिरा तार
ग्रामीणों के अनुसार, अरुण के घर के पास बिजली का पोल नहीं था। तीन साल पहले पोल मंगवाया गया, लेकिन अब तक लगाया नहीं गया। मजबूरी में अरुण ने मेन रोड के पोल से तार खींचकर बांस के सहारे घर तक बिजली पहुंचाई थी।

रविवार को बारिश और तेज हवा से सर्विस वायर बांस से नीचे गिर गया। अरुण लकड़ी से उसे उठाने की कोशिश कर रहे थे, तभी करंट की चपेट में आ गए। उन्हें बचाने के दौरान उनकी मां शांति देवी और भतीजा अजीत राम की भी मौत हो गई।

बिजली विभाग की लापरवाही पर गुस्सा
गांव वालों का आरोप है कि हादसे के दौरान उन्होंने बिजली विभाग को 25 बार फोन किया, लेकिन किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया। करीब 10 मिनट तक तीनों करंट से तड़पते रहे।

ग्रामीणों का कहना है कि हादसे की सूचना के बाद भी न तो बिजली विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और न ही कोई प्रशासनिक पदाधिकारी। इससे लोगों में गुस्सा है।
दिल दहला देने वाला मंजर
ग्रामीण रोहन ने बताया कि जब लोग मौके पर पहुंचे तो शांति देवी अपने बेटे अरुण को पकड़े थीं। पास में अजीत बेहोश पड़ा था। वहीं, अरुण की पत्नी रिंकू देवी अपने तीन महीने के बेटे को गोद में लिए बेसुध खड़ी थीं। तार छुड़ाने की कोशिश में वे भी झुलस गईं।
सोमवार को जब घर से एक साथ तीन अर्थियां उठीं तो पूरे गांव में मातम छा गया। महिलाएं बिलख-बिलख कर रो रही थीं और बच्चे भयभीत होकर चुपचाप बैठे थे।
बच्चों का भविष्य अधर में
मृतक अरुण के परिवार में बड़ी बेटी शिवानी (7), बेटा सत्यम (5), बेटी निधि (3) और जुड़वां बच्चे अंशु-अंशिका (3 माह) हैं। गांव वाले और परिजन यही चर्चा कर रहे थे कि अब इन मासूमों का पालन-पोषण कैसे होगा।

अरुण की पत्नी रिंकू देवी गहरे सदमे में हैं। वे किसी से कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं।

