समस्तीपुर शहर की दो प्रमुख रेल गुमटियों, भोला टाकीज और मुक्तापुर, पर ओवरब्रिज निर्माण की मांग को लेकर स्थानीय लोग और विभिन्न संगठन लंबे समय से संघर्षरत हैं। जनता के धैर्य की सीमा टूट रही है, और मंगलवार को डीआरएम चौक पर प्रदर्शन के साथ यह मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में आया। क्या विकास की यह महत्वपूर्ण परियोजना सिर्फ वादों और योजनाओं में ही सीमित रह जाएगी?

प्रदर्शन और जनता का आक्रोश:
रेल विकास एवं विस्तार मंच के नेतृत्व में डीआरएम चौक पर प्रदर्शन किया गया, जिसमें ओवरब्रिज निर्माण में हो रही देरी के खिलाफ नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए मांग की कि निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाए।

ओवरब्रिज परियोजना का लंबा इंतजार:
- 2014: ओवरब्रिज निर्माण की योजना स्वीकृत हुई।
- 2016-17: बजट में इस योजना के लिए प्रतीकात्मक रूप से 1,000 रुपये आवंटित किए गए।
- बाधाएं: ब्रिज की लंबाई-चौड़ाई, जगह के चयन, और राज्य सरकार व रेलवे के बीच समन्वय की कमी ने परियोजना को लटका दिया।
- मौजूदा स्थिति: रेलवे ने स्वीकृति देकर अंशदान प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा, जो अब कैबिनेट से पास हो चुका है। लेकिन कथित रूप से रेलवे की जमीन पर बने मॉल के कारण निर्माण कार्य रुक गया है।
गुमटियों की समस्या:
भोला टाकीज और मुक्तापुर रेल गुमटियों पर रोजाना हजारों लोग फंसते हैं। गुमटी बंद रहने के कारण लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। यातायात जाम से आम जनजीवन प्रभावित होता है, जिससे आर्थिक और सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं।

नेताओं और सरकार पर सवाल:
पूर्व सांसद प्रिंस राज, विधायक अख्तरूल इस्लाम शाहीन, और वर्तमान सांसद शांभवी चौधरी द्वारा निर्माण कार्य शुरू कराने के आश्वासन दिए गए, लेकिन जमीन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों ने मंत्री अशोक चौधरी के वादों को भी “जुमला” करार दिया।

मंच का संघर्ष और भविष्य की योजना:
रेल विकास एवं विस्तार मंच ने संघर्ष को और तेज करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि जब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं होता, तब तक यह आंदोलन अलग-अलग रूपों में जारी रहेगा।