समाज में बाल विवाह जैसी कुरीति को समाप्त करने के लिए समस्तीपुर जिले में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत, जिले के गांव-गांव में जागरूकता फैलाने का कार्य शुरू हुआ है। इसमें पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य कर्मियों तक, सभी मिलकर इस सामाजिक बदलाव में भागीदारी निभा रहे हैं।
बाल विवाह के खिलाफ इस अभियान की शुरुआत शुक्रवार को जागरूकता रैली के साथ हुई। रैली शहर के कलेक्ट्रेट से निकली और विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए लोगों को इस कुरीति के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक किया। जवाहर ज्योति बल विकास केंद्र के सचिव सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले डेढ़ साल में इस अभियान ने 400 से अधिक बाल विवाह रोकने में सफलता प्राप्त की है।
यह अभियान जिले के सभी 20 प्रखंडों की पंचायतों में सक्रिय रूप से चलाया जा रहा है। आंगनबाड़ी सेविकाओं, सहायिकाओं और आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से लड़कियों और उनके परिवारों को शिक्षित किया जा रहा है। इस दौरान कम उम्र में शादी के स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणाम, जैसे कम उम्र में बीमार होना, औसत आयु में कमी और मानसिक विकास में बाधा, के बारे में जागरूकता फैलाई जा रही है।
सुरेंद्र कुमार ने बल दिया कि बच्चियों में शिक्षा का प्रसार इस कुरीति को खत्म करने का सबसे प्रभावी तरीका है। शिक्षित लड़कियां न केवल अपने अधिकारों को समझ सकती हैं, बल्कि बाल विवाह के खिलाफ खड़ी भी हो सकती हैं। अभियान के तहत लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली 4000-6000 रुपये की मासिक सहायता राशि के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
अभियान का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसके तहत हेल्थ विशेषज्ञ भी जुड़ रहे हैं। वे ग्रामीण परिवारों को बाल विवाह के शारीरिक और मानसिक नुकसान के बारे में बताते हैं। विशेष रूप से बच्चियों के माता-पिता को यह समझाया जा रहा है कि कम उम्र में विवाह न केवल उनकी बच्ची के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि उसके भविष्य को भी सीमित कर देता है।
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