सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए ड्रेस कोड में समानता लाने की एक नई पहल चर्चा में है। समस्तीपुर के एक अपग्रेड मिडिल स्कूल की तीन बच्चियों ने अपने पत्र के माध्यम से ऐसी समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है। यह पत्र उच्च अधिकारी ACS एस सिद्धार्थ तक पहुंचा, जिनकी प्रतिक्रिया ने इसे एक नई दिशा दी।
समस्तीपुर के लगुनिया सूर्यकंठ स्थित अपग्रेड मिडिल स्कूल की कक्षा 8 की छात्राएं सलोनी, संध्या, और लक्ष्मी ने ACS एस सिद्धार्थ को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने स्कूल ड्रेस में स्वेटर को शामिल करने की मांग की। ठंड के मौसम में रंग-बिरंगे स्वेटरों के कारण स्कूल में समानता की कमी को बच्चियों ने रेखांकित किया। पत्र प्राप्त होने के बाद, ACS ने विद्यालय के प्रधानाचार्य सौरभ कुमार को वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क किया। इस दौरान उन्होंने बच्चियों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया। लक्ष्मी ने बताया कि सभी बच्चे अलग-अलग रंग के स्वेटरों में आते हैं, जिससे ड्रेस कोड का प्रभाव कम हो जाता है।
बच्चियों ने सुझाव दिया कि ड्रेस कोड में नेवी ब्लू रंग का स्वेटर जोड़ा जाए, ताकि सरकारी स्कूल के बच्चे भी निजी स्कूलों के बच्चों की तरह एक समान दिखें। ACS ने इस सुझाव की सराहना की और इसे लागू करने पर विचार करने का आश्वासन दिया। सरकार द्वारा वर्तमान में सरकारी स्कूल के बच्चों को ड्रेस कोड के लिए राशि दी जाती है, जो कक्षा के आधार पर 400 से 1000 रुपये तक होती है। हालांकि, इस राशि में स्वेटर शामिल नहीं है। इस पहल से सरकारी स्कूलों में समानता और अनुशासन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही है।
प्रधानाचार्य सौरभ कुमार ने बताया कि ACS एस सिद्धार्थ ने “शिक्षा की बात हर शनिवार” नामक कार्यक्रम के तहत यह अनूठी पहल शुरू की है। इस कार्यक्रम में छात्रों के सुझावों पर चर्चा की जाती है, जिससे शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें।
Bihar Tourism : पर्यटन विभाग की ओर से बिहार के बांका जिला में तीन करोड़…
Murder in Samastipur : समस्तीपुर में अपराधियों का तांडव थमने का नाम नहीं ले रहा…
AIDS Patients in Bihar: बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि देश…
Migration in Bihar: काम-धंधे और रोजगार के लिए बिहार से दूसरे राज्य जाने वाले कामगारों…
बिहार के शहरी इलाकों की तर्ज पर अब गांव की सड़कों को भी रोड एम्बुलेंस…
Fact Check: सोशल मीडिया पर खबरें वायरल होना एक आम बात हो गई है. कभी-कभी…