गंगा नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी से समस्तीपुर ज़िले के कई इलाकों में बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है। जलस्तर खतरे के निशान से 2 मीटर ऊपर पहुँच गया है, जिससे मोहनपुर प्रखंड के सरसावा, नौघड़िया, जहेनगरा, जौनपुर, कुट्टुपुर सहित कई गांव जलमग्न हो गए हैं। घरों में पानी घुस गया है, चूल्हे डूब चुके हैं, बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है और मवेशियों के लिए चारे की भारी किल्लत हो गई है। ग्रामीण नावों के सहारे मवेशियों को ऊंचे स्थानों तक पहुंचा रहे हैं।

ग्रामीणों की बेबसी: “बच्चों और मवेशियों की जान का डर”
हरदासपुर निवासी इंद्रजीत राय ने बताया कि पानी पूरे घर में भर गया है, चूल्हा डूब गया, खाना नहीं बन पा रहा। बच्चों को बाहर निकालने में भी जान का खतरा है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 50 से अधिक नावें सिर्फ मवेशियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए चलाई जा रही हैं। बिजली पूरी तरह बंद है, और राशन-तेल तक नहीं मिल रहा।

वहीं विजय राय ने कहा कि चारा खत्म है, घर में खाना नहीं बन रहा, इसलिए नाव से पलायन करना पड़ रहा है। खाने-पीने की वस्तुएं समाप्त हो चुकी हैं और अब तक कोई सरकारी मदद नहीं पहुंची है।

जलस्तर में तेज वृद्धि, 2016 की बाढ़ की याद
तेजी से बढ़ता जलस्तर ग्रामीणों को 2016 की भीषण बाढ़ की याद दिला रहा है।

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सोमवार: 46.65 मीटर
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मंगलवार: 46.90 मीटर
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बुधवार: 47.25 मीटर
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गुरुवार सुबह: 47.50 मीटर (खतरे के निशान से 2 मीटर ऊपर)
बीते 24 घंटों में 25 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। लोगों को डर है कि यदि यही स्थिति रही तो घर, खेत और पशुधन सब पानी में डूब जाएगा।

स्थायी समाधान की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बाढ़ की स्थिति बनती है, लेकिन न तो स्थायी बांध बना और न कोई कारगर योजना लागू हुई। प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस समाधान की घोषणा नहीं की गई है, जिससे लोग नावों और अस्थायी इंतजामों के सहारे पलायन को मजबूर हैं।

