समस्तीपुर : शिक्षा विभाग के ई-संबंधन पोर्टल पर पंजीयन नहीं कराने वाले निजी स्कूलों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू हो गई है. मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत सभी निजी स्कूलों को पंजीयन करना अनिवार्य है. जिला शिक्षा कार्यालय ने जिले के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित किया है कि वे ई-संबंधन पोर्टल पर पंजीयन नहीं करने वाले निजी स्कूलों को चिन्हित करें. स्कूल अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उन निजी स्कूलों पर अधिनियम की धारा 18 (5) एवं 19 (5) के अंतर्गत दोषी पाया जायेगा और उस व्यक्ति या संस्था पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा.
साथ ही निर्धारित तिथि के बाद भी विद्यालय संचालित रहने पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये का जुर्माना किया जायेगा. बिना प्रस्वीकृति के कोई भी निजी स्कूल संचालित नहीं किया जा सकता है. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अपने प्रखंडाधीन क्षेत्र में संचालित कौन-कौन निजी विद्यालय बिना प्रस्वीकृति के चल रहा है, उसकी सूची बनाकर जिला शिक्षा कार्यालय को भेजना सुनिश्चित करेंगे. ई-संबधन पोर्टल पर निजी स्कूलों को पंजीयन करने अंतिम तिथि 15 दिसंबर है. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एसएसए मानवेंद्र कुमार राय ने कहा कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अपने क्षेत्र के निजी स्कूलों को पंजीयन करने के दबाव बनाएंगे और नोटिस देंगे. अगर ऐसा नहीं करते हैं संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और निजी स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.
निजी स्कूलों को ई-संबंधन पोर्टल पर नियमित और मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत नामांकित बच्चों की संख्या, शिक्षकों की संख्या और उनकी योग्यता, बच्चों को दी जा रही सुविधा, कर्मचारियों की संख्या आदि चीजों की इंट्री करना है. विभाग ने कहा है जिन निजी स्कूलों का पंजीयन अवधि खत्म हो गया वे 31 दिसंबर तक नवीनीकरण के लिए आवेदन दे सकते हैं.
निर्गत टीसी अवैध मानी जायेगी
विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार बिना प्रस्वीकृति के निजी स्कूलों की ओर से निर्गत टीसी अवैध मानी जायेगी, साथ ही निर्गत करनेवाले के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया जायेगा. निजी स्कूलों में साठ बच्चे तक नामांकित रहने पर दो शिक्षक, 61 से 90 तक तीन, 91 से 120 तक चार, 121 से 200 तक पांच, 150 से अधिक छात्रों का नामांकन रहने पर पांच शिक्षक व एक प्रधान शिक्षक होने चाहिए. साथ ही, छठी से आठवीं कक्षाओं तक के लिए कम से कम प्रति कक्षा एक शिक्षक विज्ञान व गणित, सामाजिक विज्ञान व भाषा के होने चाहिए. साथ ही, 35 विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए कम से कम एक शिक्षक होने चाहिए.
जिन स्कूलों में 100 से अधिक छात्रों का प्रवेश लिया जाता है. उन स्कूलों में एक पूर्णकालिक अध्यापक, कला शिक्षा व स्वास्थ्य व शारीरिक शिक्षा के शिक्षक होने चाहिए. प्रत्येक शिक्षक के लिए कम से कम एक वर्ग कक्ष होने चाहिए. स्कूल का एक कार्यालय होने चाहिए. स्कूल तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता, बालक व बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था, सुरक्षित व पेयजल की सुविधा, खेल का मैदान, विद्यालय की सुरक्षा के लिए चहारदीवारी होनी चाहिए. पहली से पांचवीं कक्षाओं तक दौ सौ कार्य दिवस, छठी से आठवीं कक्षाओं के लिए दो सौ बीस कार्य दिवस स्कूल संचालित होंगे. प्रत्येक स्कूल में पुस्तकालय की व्यवस्था होनी चाहिए. इसमें समाचार पत्र, पत्रिकाएं और सभी विषयों की पुस्तकें जिनके अंतर्गत कहानी की पुस्तकें भी शामिल होने चाहिए.