जिले का एकमात्र संचालित हसनपुर चीनी मिल से 20 पंचायतों के 89 कृषि राजस्व गांवों में गन्ना की अधिक खेती होती है। यहां के किसानों के आर्थिक आमदनी का मुख्य माध्यम गन्ना की खेती ही है। यहां 5000 से 5500 हेक्टेयर में गन्ना की खेती की जाती है। सत्र 2023-24 में करीब 4600 हेक्टेयर में गन्ना की खेती हुई थी। चालू सत्र में करीब 5000 हेक्टेयर खेतीहर भूमि में गन्ना की खेती की गई है। लेकिन इस प्रखंड में फसलों की सिंचाई पर संकट उत्पन्न हो चुका है।

कारण यह कि अलग-अलग पंचायतों में लघु सिंचाई विभाग की ओर से लगाए गए 39 स्टेट बोरिंगों में से 90 फीसदी स्टेट बोरिंगों से पानी नहीं निकलता है। पंचायतों में किसानों के खेतों तक बिजली कनेक्शन नहीं पहुंचाया जा सका है। कहीं कनेक्शन पहुंचा भी है, तो ट्रांसफार्मर जलने के कारण बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है। जिससे कि बिजली से संचालित पंपसेट के सहारे खेतों में लगे गन्ना फसल की सिंचाई की जा सके। प्रखंड क्षेत्र में बरसात के पानी संग्रह के लिए मुख्य मृत चंद्रभागा नदी व हहिया नाला भी भीषण गर्मी के कारण सूख चुका है। यदि बारिश होती भी है, तो उड़ाही कार्य के अभाव में इसमें जल संग्रह नहीं हो पाता है। कुल मिलाकर खेतों में लगे फसलों की सिंचाई का एकमात्र माध्यम बचा है, किराया का निजी पंपसेट। आर्थिक रूप से कमजोर किसान किराए के निजी पंपसेट के सहारे खेतों में लगे फसलों की सिंचाई करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। परिणाम खेतों में लगे खूंटी व मुरहन गन्ना के फसल के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है।

सिंचाई संकट का सामना कर रहे हसनपुर प्रखंड के पटसा, मधेपुर, रामनगर के किसानों ने बताया कि खेतों तक बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन दिए थे। दिए गए आवेदन पर खेतों तक बिजली पोल तो लगा दिया गया, लेकिन अभी तक बिजली आपूर्ति के लिए तार नहीं लगाया गया है। बंद पड़े स्टेट बोरिंगों के चालू करने के लिए तो कहीं से कोई पहल ही नहीं किया जा रहा है। कर्ज लेकर खेती करते हैं, लेकिन पर्याप्त सिंचाई के अभाव में फसलों का उत्पादन संतोषजनक नहीं होता है।

