समस्तीपुर के इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद से यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी पत्नी, सास और साले पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगे हैं। हाल ही में बेंगलुरु की सिटी सिविल कोर्ट ने तीनों को जमानत दे दी है, जिससे मामला और जटिल हो गया है। अब परिवार सुप्रीम कोर्ट में न्याय की उम्मीद लेकर आगे बढ़ रहा है।
बेंगलुरु की लोअर कोर्ट ने अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी सास निशा सिंघानिया और साले अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी। अदालत के इस फैसले पर मृतक के परिवार ने आपत्ति जताई है। अतुल के भाई विकास मोदी ने बताया कि उन्होंने जमानत के विरोध में 15 ठोस बिंदु प्रस्तुत किए थे। इनमें जांच पूरी न होने का प्रमुख तर्क शामिल था।
विकास मोदी का आरोप है कि निकिता ने 4 साल के बेटे व्योम को उनकी जानकारी के बिना फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में भर्ती कराया था। दाखिले के दस्तावेजों में अतुल का नाम तक नहीं दर्ज है, जबकि जन्म प्रमाण पत्र में उनका नाम स्पष्ट रूप से लिखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट में बेटे की कस्टडी को लेकर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। विकास मोदी ने कहा कि उनके वकील कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। परिवार का कहना है कि बेटे का सही वातावरण में पालन-पोषण सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता है।
अतुल के सुसाइड से पहले के वीडियो में उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी बच्चे को “टूल” के रूप में इस्तेमाल कर रही थी। इस संदर्भ में विकास मोदी को चिंता है कि जमानत मिलने के बाद भी बेटे का उपयोग इसी तरह किया जा सकता है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी से जुड़े मामले में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सरकारों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने 7 जनवरी तक बच्चे की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है।
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