नई शिक्षा नीति के तहत शुरू किए गए एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) कार्ड का उद्देश्य छात्रों को शैक्षिक स्वतंत्रता और लचीलापन प्रदान करना है। लेकिन वर्तमान में, यह अनिवार्यता कई छात्रों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। आधार कार्ड में मोबाइल नंबर न जुड़े होने या नाम की गलत स्पेलिंग के कारण छात्रों को एबीसी कार्ड बनवाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी परीक्षाओं और नामांकन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
समस्तीपुर के कॉलेज छात्रों के बीच इन दिनों एक नई चिंता ने जन्म लिया है—एबीसी कार्ड की अनिवार्यता। परीक्षाओं के लिए फॉर्म भरते समय छात्रों को आधार कार्ड की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आधार कार्ड में नाम की गलत स्पेलिंग, मोबाइल नंबर न जुड़ा होना या अन्य व्यक्तिगत जानकारी गलत होने के कारण, छात्रों को पहले आधार अपडेट करवाना पड़ता है, जिसमें 15 दिन का समय लग सकता है। छात्र नेता मुलायम सिंह यादव के अनुसार, आधार नंबर से एबीसी आईडी बनाते समय ओटीपी भेजी जाती है, लेकिन कई छात्रों के आधार कार्ड में नंबर अपडेट न होने के कारण यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती। इस कारण छात्र अपनी आईडी नहीं बना पा रहे हैं, जो नई शिक्षा नीति के तहत अनिवार्य हो गई है।
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का मकसद छात्रों को उनके पढ़ाई के दौरान अर्जित क्रेडिट्स को एक डिजिटल खाते में संग्रहित करना है। अगर कोई छात्र किसी कारणवश अपनी पढ़ाई छोड़ देता है, तो वह बाद में किसी मान्यता प्राप्त संस्थान में दाखिला लेकर उन क्रेडिट्स का उपयोग कर सकता है। यह नई प्रणाली छात्रों को अपनी शिक्षा में अधिक लचीलापन प्रदान करती है, लेकिन आधार कार्ड की बाध्यता ने छात्रों के लिए एक और चुनौती खड़ी कर दी है।
एबीसी कार्ड के जरिए छात्रों के क्रेडिट्स को सात साल तक स्टोर किया जाएगा, जिसे विभिन्न संस्थान मान्यता देंगे। प्रत्येक विषय में अलग-अलग क्रेडिट्स दिए जा रहे हैं, जो छात्रों को अपनी पढ़ाई के दौरान अर्जित करने होते हैं। यह प्रणाली विशेष रूप से उन छात्रों के लिए मददगार है जो किसी कारण से अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं और भविष्य में इसे पुनः शुरू करना चाहते हैं।
समस्तीपुर जिले में अपराध पर लगाम कसने के लिए राज्य एसटीएफ टीम ने बड़ी कार्रवाई…
बिहार में सिपाही के 21 हजार 391 पदों पर बहाली का अंतिम दौर अगले महीने…
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि राज्य में तीन हजार 326 ड्रेसर (परिधापक) की…
शादियां आमतौर पर खुशियों का मौका होती हैं, लेकिन समस्तीपुर जिले के विक्रमपुर गांव में…
पेंशनभोगियों के लिए हर साल नवंबर का महीना अक्सर औपचारिकताओं से भरा होता है। लेकिन…
राज्य के सरकारी अस्पतालों में अब भी लगभग 45 फीसदी डॉक्टर कम हैं। इससे सरकारी…