समस्तीपुर जिले के रोसड़ा उपकारा में विचाराधीन बंदी मोनू कुमार सिंह की मौत के मामले ने गंभीर मोड़ ले लिया है। न्यायालय ने मामले को हत्या (भादवि 302) के अंतर्गत परिवर्तित करने का आदेश दिया है। इस घटना ने पुलिस और जेल प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
रोसड़ा उपकारा के बंदी मोनू कुमार सिंह की गिरफ्तारी के बाद हुई मौत का मामला अब हत्या के आरोपों में बदल गया है। पहले यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अंतर्गत दर्ज किया गया था, क्योंकि मोनू की हालत गंभीर थी, लेकिन उनकी इलाज के दौरान मृत्यु हो जाने के बाद उनके भाई सोनू कुमार सिंह द्वारा मामला भादवि 302 में परिवर्तित करने की अपील की गई थी, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी।
मृतक के परिजनों का आरोप है कि मोनू को पुलिस हिरासत में बुरी तरह पीटा गया, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई और अंततः डीएमसीएच अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। इस मामले में मोनू के भाई ने सिंघिया थाने के थानाध्यक्ष विशाल कुमार सिंह, तत्कालीन अपर थानाध्यक्ष दीपशिखा, और मामले की जांच अधिकारी (आईओ) दीपशिखा सिंह के खिलाफ अभियोग दर्ज कराया है।
अदालत ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने जेल अधीक्षक, जेलर, अनुमंडल अस्पताल और सदर अस्पताल के चिकित्सकों को सम्मन जारी कर उनके बयान दर्ज किए हैं। साथ ही, इस घटना पर रोसड़ा एसडीपीओ से भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
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