अब पटना जंक्शन समेत पूर्व मध्य रेलवे के प्रमुख स्टेशनों से खुलने वाली ट्रेनों के लाइट, पंखे, एसी समेत अन्य बल्ब सौर ऊर्जा से चलेंगे. इसके तहत ट्रेनों के कोच के ऊपर सोलर पैनल लगेंगे. इसीसे बनने वाली बिजली से उस कोच में रोशनी होगी और एसी, पंखे भी चलेंगे. अधिकारियों के मुताबिक सबसे पहले पठानकोट-जोगिंदर नगर के बीच कांगड़ा घाटी में चलने वाली छोटी लाइन की ट्रेनों की छतों पर सोलर पैनल लगाया गया था. इसके बाद फिरोजपुर मंडल, उत्तर रेलवे समेत कुछ मंडलों में इसका सफल ट्रायल किया जा चुका है. जिसे अब पूमरे भी अपनाने की तैयारी कर रही है. रेलवे बोर्ड के ग्रीन टेक्नोलॉजी योजना के तहत यह सोलर पैनल का कार्य शुरू होने जा रहा है. वर्तमान में अभी इस योजना के तहत दानापुर मंडल के कई स्टेशन, कार्यालय और कॉलोनियों में सोलर पैनल लगाने लगाया जा चुका है.
अभी 60 डिब्बों में सोलर पैनल लगाएं जा चुके हैं
रेलवे के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि फिरोजपुर मंडल के अमृतसर से हरिद्वार के बीच चलने वाली जनशताब्दी ट्रेन एक्सप्रेस से सोलर पैनल की शुरुआत की जा चुकी है. दिल्ली शकूरबस्ती डेमू, तमिलनाडु जनशताब्दी समेत करीब पांच दर्जन ट्रेन के 60 डिब्बों में सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं.
सोलर पैनल के बाद अब हट जायेंगी पॉवर कार
जानकारों के अनुसार सोनर पैनल के इस्तेमाल से अब पावर कार (जनरेटर) नहीं लगेंगे. इससे डीजल की बचत होगी. साथ ही पावर कार हटने से सभी ट्रेन में दो अतिरिक्त कोच लगाये जा सकेंगे. यात्रियों को पावर कार के शोर से भी मुक्ति मिलेगी. पावर कार में आये दिन धुंआ निकलने और चिंगारी जैसी घटनाएं होती है. ऐसे में इसके हटने से इस दिक्कत से भी छुटकारा मिल जायेगा.
पटना जंक्शन से दिल्ली तक 2500 लीटर डीजल की बचत
एलएचबी रैक वाली ट्रेनों में बोगियों को पावर सप्लाई देने के लिए पावर कार लगायी जाती हैं. एक पावर कार पटना जंक्शन से दिल्ली तक की यात्रा में करीब 2500 लीटर से अधिक डीजल की खपत करती है. 22 कोच के ट्रेन के लिए दो पावर कार की जरूरत पड़ती है. हालांकि कुछ ट्रेनों में एचओजी इंजन लगने से एक पावर कार से ही काम चल जाता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
पूमरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्तवी चंद्र का कहना है कि ऊर्जा पर तेजी से काम कर रहा है. इसका लक्ष्य अन्य भी कई ट्रेनों को पूरी तरह से सौलर पैनल के जरिए चलाना है, जिसमें न केवल पैसेंजर ट्रेनें, बल्कि मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें भी शामिल होंगी. इससे बिजली की बचत होगी साथ ही रेलवे को और अधिक आर्थिक फायदा होगा.
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