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ISRO चीफ ने नाम किया एक और कीर्तिमान, IIT-Madras से 61 साल की उम्र में पूरी की PHD

Chandrayaan 3: पिछले साल भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड करवाकर इसरो ने इतिहास रच दिया था। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश था। इसरो चीफ एस सोमनाथ को दुनियाभर से प्रशंसा मिली थी। चंद्रयान-3 की लैंडिंग के 11 महीने के बाद अब एक बार फिर से एस सोमनाथ के लिए खुशखबरी सामने आई है। दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) के परिसर में शुक्रवार आयोजित 61वें दीक्षांत समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ को मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर छात्रों को (संयुक्त और दोहरी डिग्रियां सहित) 3,016 डिग्रियां दी गई हैं।

एनडीटीवी के अनुसार, डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने के बाद इसरो चीफ डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि आईआईटी-मद्रास जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री पाना बहुत बड़ा सम्मान है। उन्होंने कहा, “एक गांव के लड़के के रूप में भले ही मैं टॉपर था, लेकिन मेरे पास आईआईटी की प्रवेश परीक्षा देने की हिम्मत नहीं थी। मेरा सपना था कि एक दिन मैं यहीं से स्नातक करूंगा। मैंने अपनी मास्टर डिग्री प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु से प्राप्त की और अब पीएचडी आईआईटी-मद्रास द्वारा प्रदान की गई है।”

उन्होंने कहा कि पीएचडी हमेशा से ही काफी मुश्किलोंभरी रही है और खासतौर पर जब आईआईटी मद्रास जैसा रेप्युटेड इंस्टीट्यूशन से हो तब। उन्होंने इसे बहुत लंबी यात्रा बताते हुए कहा कि कई सालों बाद उन्होंने इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाया था। रिसर्च सब्जेक्ट मेरे दिल के काफी करीब था। यह वाइब्रेशन आइसोलेटर से संबंधित था, जिसे मैंने दशकों पहले इसरो प्रोजेक्ट में बतौर इंजीनियर शुरू किया था। यह विषय मेरे दिमाग में रहा और मैंने इस पर कई वर्षों तक काम किया।

डॉ. ब्रायन थे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
आईआईटी-मद्रास द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. ब्रायन के. कोबल्किा थे जिन्हें रसायन विज्ञान में 2012 के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आईआईटी मद्रास के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. पवन गोयनका ने निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि आईआईटी मद्रास, संकाय, कर्मचारी और छात्र, की उपस्थिति में दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। स्नातक छात्रों और पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए डॉ. ब्रायन ने कहा, ”मैं खुद को किसी भी तरह से असाधारण नहीं मानता। मेरा आज का करियर इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक औसत व्यक्ति कड़ी मेहनत, दृढ़ता, परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों की बड़ी मदद सहित सब के संयोजन से कुछ हद तक सफलता प्राप्त कर सकता है। जब मैं अपने करियर पर नजर डालता हूं तो मुझे आश्चर्य होता है कि मैं कितनी बार सही समय पर सही जगह पर, सही लोगों के साथ था।”

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