बिहार के विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक कैलेंडर को समय पर पूरा करने के लिए कानूनी जवाबदेही में सुनिश्चित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसमें विद्यार्थियों के नामांकन, परीक्षा आयोजन और परीक्षाफल को समय पर प्रकाशित करने की बाध्यता होगी। बिहार राज्य विश्वविद्यालय और पटना विवि अधिनयम में इसके लिए संशोधन किया जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी इसके प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। इसके बाद विधि विभाग और राज्य कैबिनेट से स्वीकृति लेकर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।
अधिनियम में यह भी शामिल होगा कि शैक्षणिक कैलेंडर का आगामी सत्र की शुरुआत से पहले राजभवन द्वारा राज्य सरकार से सहमति ली जाएगी। इसका पूरा अनुपालन हो, ताकि परीक्षा की समय सीमा और विद्यार्थियों के लिए रिजल्ट का समय निश्चित हो सके।
पिछले कई वर्षों से बिहार के अधिकांश विश्वविद्यालयों में यह समस्या रही है कि शैक्षणिक सत्र विलंबित रहते हैं। कुछ विश्वविद्यालयों में दो-दो साल तक सत्र विलंबित रहे हैं। इससे विद्यार्थियों को कठिनाई होती है। विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक कैलेंडर के समय पर पूरा होने के लिए राजभवन और शिक्षा विभाग द्वारा नियमित समीक्षा की जाती है, लेकिन इस चुनौती को देखते हुए अब शिक्षा विभाग इस पर कदम उठा रहा है।
शिक्षा सेवा के अधिकारियों को उप कुलसचिव बनाने की तैयारी है, जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त होंगे। इसके साथ ही विश्वविद्यालय अधिनियम में वित्त परामर्शी और वित्त पदाधिकारियों की योग्यता में बदलाव की तैयारी भी है। इसके बाद विधेयक पारित करने के लिए राज्य कैबिनेट से स्वीकृति ली जाएगी, और विधानमंडल में इसको लेकर विधेयक पारित किया जाएगा। फिर राज्यपाल की मंजूरी से इसे अधिनियम में संशोधन कर दिया जाएगा।