बिहार के गरीबों को घर के लिए जमीन देने में अफसरों ने खूब मनमानी की है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की जांच में इसका खुलासा हो रहा है। पूरी रिपोर्ट आने के बाद विभाग से जुड़े दर्जनों अंचलाधिकारी और राजस्व अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है। विभाग इस प्रकरण में अब तक आधा दर्जन कर्मियों पर कार्रवाई कर चुका है।

विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार अभियान बसेरा-दो के तहत सुयोग्य श्रेणी के भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल तक जमीन वास के लिए देती है। इस अभियान के तहत सवा लाख परिवारों का सर्वेक्षण किया गया, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने इनमें से लगभग 52 फीसदी परिवारों को जमीन के लिए योग्य नहीं (नॉट फिट फॉर लैंड अलॉटमेंट) बता दिया।

बड़ी संख्या में जब यह स्थिति उत्पन्न हुई तो विभाग को आशंका हुई कि कहीं जान-बूझकर तो अधिकारियों ने गरीबों को जमीन देने के लायक नहीं समझा। बीते दिनों विभाग के सचिव जय सिंह ने अपर समाहर्ताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अभियान बसेरा-दो की समीक्षा की। इसमें उभरकर आया कि इस अभियान के तहत सवा लाख परिवारों का सर्वेक्षण हुआ था।

इनमें 48 हजार परिवारों को जमीन उपलब्ध कराई जा चुकी है, लेकिन 52 प्रतिशत सर्वेक्षित परिवारों को भूमि आवंटन के लिए योग्य नहीं पाया गया। इतनी संख्या में परिवारों को जमीन के लायक योग्य नहीं पाए जाने को विभाग ने गंभीरता से लिया। तब पहले सचिव और फिर अपर मुख्य सचिव ने जिलों को पत्र भेजा।


पत्र में कहा गया है कि अंचल स्तर पर गैर राजस्व संवर्गीय पर्यवेक्षकों की एक टीम बनाकर ऑनलाइन एप के माध्यम से नॉट फिट फॉर लैंड अलॉटमेंट को क्रॉस चेक करते हुए विभाग को रिपोर्ट दी जाए। इसकी जांच राजस्व कर्मचारी मोबाइल एप में अभियान बसेरा के तहत रि-वेरिफाई रिजेक्टेड अप्लीकेंट के नाम से उपलब्ध प्रपत्र में प्रस्तुत करेंगे।


